Home » Bhakt » Bhadrachal Ramdas

Bhadrachal Ramdas

1620 में जन्मे और 1688 में ब्रह्मलीन भद्राचल रामदास का पूर्व नाम गोपन था। गोपन अब्दुल हसन तान शाह के दरबार में तहसीलदार थे। उन्हें एक महिला के स्वप्न के आधार पर भद्रगिरि पर्वत से राम की मूर्तियां मिलीं। तब उन्होंने खम्माम जिले के भद्राचलम में गोदावरी नदी के बाएं किनारे पर उक्त मूर्ति की स्थापना कर एक भव्य मंदिर बनवा दिया।

बाद में जब बादशाह अब्दुल हसन तान शाह को यह पता चला कि गोपन ने शाही खजाने से धन का उपयोग किया है, तो उन्होंने उसे पकड़वाकर गोलकोंडा की एक अंधेरी जेल में डाल दिया।

एकांत में भी भगवान राम और हनुमान के प्रति गोपन की भक्ति निर्विवाद थी। ऐसा माना जाता है कि उनकी प्रार्थनाओं का जवाब जल्द ही मिल गया, जब भगवान राम ने तान शाह के सपने में दर्शन दिए और शाही खजाने से लिए गए धन को चुका दिया।

राजा को बहुत बुरा लगा और उसने गोपन को जेल से रिहा कर फिर से तहसीलदार के रूप में उनकी नियुक्ति बहाल कर दी।