भारत के महान वैदिक ऋषियो में अगस्त्य मुनि का नाम भी उज्जवल अक्षरों में लिखा गया है। रामायण में जिक्र है कि इन्होने श्री राम के वनवास काल में उन्हें बहुत से दिव्य अस्त्र शस्त्र दिए थे जो रावण और असुरी सेना के संहार में काम आये थे।
ऋषि अगस्त्य से जुडी जानकारी
वे गुरु वशिष्ट के बड़े भाई थे। इनका नाम भी सप्तऋषियों में सम्मिलित है। महर्षि अगस्त्य को पुलस्त्य ऋषि का बेटा माना जाता है। उनके भाई का नाम विश्रवा था जो रावण के पिता थे। पुलस्त्य ऋषि ब्रह्मा के पुत्र थे। महर्षि अगस्त्य ने विदर्भ-नरेश की पुत्री लोपामुद्रा से विवाह किया।
समुन्द्र का सम्पूर्ण जल पी लिया था
शास्त्रों में बताया गया है कि मुनि अगस्त्य इतने शक्तिशाली थे की एक बार उन्होंने समुन्द्र का सम्पूर्ण जल पी कर उसे सुखा दिया था। विंध्याचल पर्वत के गर्व को खंडित करने के लिए उसे अपने मंत्रो की शक्ति से झुका दिया था।
देवताओ के आग्रह पर वे काशी नगरी को छोड़कर दक्षिणी भारत में चले गये थे। महर्षि अगस्त्य को मंत्रदृष्टा ऋषि कहा जाता है जिन्होंने अपने जीवन काल में मंत्रो की शक्ति को देखा है। इन्होने वेदों में बहुत से मंत्र और सुक्त्यो को बनाया है। इन्होने ऋग्वेद के प्रथम मंडल के 165 सूक्त से 191 तक के सूक्तों को बताया था।
लंकापति रावण इनका भतीजा था क्योकि रावण के पिता का नाम विश्रवा था जो महर्षि अगस्त्य का भाई था।