



हिंदू लोक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय में जब राक्षस स्वर्ग में देवताओं को परेशान करने लगे तो उन्होंने मां दुर्गा से अपनी व्यथा कही. इसपर मां दुर्गा ने उन्हें सहायता का वचन दिया। मां ने महाकाली का रूप धारण कर असुरों का विनाश करना शुरू किया। असुरों से युद्ध के दौरान मां काली का स्वरुप एकदम रक्तिम हो गया जिसे देखकर देवता बेहद घबरा गए और भगवान शिव के पास पहुंचे।
शिव ने देवताओं के डर का जिक्र मां दुर्गा से किया। जब उन्हें इस बात का एहसास हुआ तब उन्होंने अपने अंश से एक सुर सुंदरी नामक खूबसूरत देवी को प्रकट किया। सुर सुंदरी नामक यह देवी मेहंदी रुपी औषधि बनकर मां के अंगों पर रच गईं। इसपर मां बहुत खुश हुई और सुर सुंदरी को वरदान दिया कि जिस प्रकार तुम मेरे अंगों की शोभा बढ़ा रही हो आने वाले समय में भी लोग तुम्हें औषधि के रूप में प्रयोग करेंगे। महिलाएं अपनी सुन्दरता बढ़ाने में तुम्हारा प्रयोग करेंगी।

ऐसा भी माना जाता है कि एक बार माँ दुर्गा के क्रोध को शांत करने के लिए ,देवी-देवताओं ने माता को मेहँदी से सजाया था. तब से किसी भी विशेष अवसर पर मेहंदी लगाने को शुभ माना जाता है|

महिलाएं अपनी खूबसूरती बढ़ाने के लिए मेहंदी का प्रयोग करती हैं और मेहंदी को शादी ब्याह में भी लगाना शुभ माना जाता है.


वट सावित्री का व्रत, मेहंदी लगाना बेहद शुभ माना जाता है. सभी विवाहित महिलाएं हाथों और पैरों में मेहंदी लगाती है।


हरतालिका तीज पर भी लगाती है स्त्रियां मेहंदी क्योंकि ये त्योहार सुहाग की कामना से जुड़ा है।


रक्षाबंधन पर बहनों के मेहंदी से महकते हाथों को देख भाई का मन ख़ुशी से पुलकित हो जाता है।


करवा चौथ पर हथेलियों को आकर्षक बनाने के लिए स्त्रियाँ लगाती है मेहंदी


चाहे वह शादी हो या दीवाली हो या कोई उपवास (व्रत), मेहंदी खुशी और रंग का प्रतीक है। ऐसे मौकों पर सबसे पहले मेहँदी लगाई जाती है।

अक्सर तीज और त्यौहार पर महिलायें मेहँदी लगाती हैं और और ख़ुशी को जाहिर करती हैं।

भारतीय शादियों में `मेहंदी की रात` शादी के पूर्व की सबसे महत्वपूर्ण रस्मों में से एक है। यह केवल एक मजेदार रस्म नहीं, बल्कि इसका सांस्कृतिक रूप से भी बहुत गहरा महत्व है।


ऐसा भी माना जाता है है कि जिस दुल्हन की मेहंदी जितनी गहरी रचती है उसका पति उसे उतना ही प्यार करता है.


यूं तो शादी में कई तरह के रीति-रिवाज और खेल होते हैं जिनमें से एक खेल होता है कि वर को दुल्हन के हाथों में मेहंदी से लिखा अपना नाम खोजना होता है. इस रस्म में डूबी नई जोड़ी के बीच प्रेम का अंकुर फूटना स्वाभाविक है.


सुंदरता के प्रतीक के रूप में देवी-देवता भी इसका उपयोग करते थे| किसी भी शुभ अवसर पर मेहंदी शांति और खुशहाली का प्रतिक मानी गई है| हिन्दू धर्म में मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है|


हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार प्रत्येक सुहागन महिला या कुवाँरी लड़की शादी, त्यौहार या किसी भी अन्य शुभ अवसर पर अपने हाथों में मेहंदी लगाती है. भारतीय परम्परा और संस्कृति के अनुसार मेहंदी को सुहागन महिलाओं के 16 श्रृंगारों में गिना जाता है|


हिन्दू धर्म में प्राचीनकाल से ही मेहंदी को कई औषधीय उपयोगों में भी लाया जाता है. मेहंदी शीतलता का प्रतीक होती है| इसी कारण से मानसिक तनाव, बुखार या सर दर्द के समय मेहंदी लगाना अच्छा होता है. मेहंदी से शरीर की जलन या गर्मी में भी राहत मिलती है|


अतः इसे एक गुणकारी औषधि की भाँति माना गया है| हिन्दू धर्म में मेहंदी का विशेष महत्व है. किसी भी शुभ और मांगलिक अवसर पर इसे लगाना अच्छे कार्य का प्रतीक माना गया है. मेहंदी को साज-श्रृंगार के अतिरिक्त शुभता का प्रतीक माना गया है|