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टांगीनाथ धाम में भगवान परशुराम का फरसा

झारखंड राज्य की राजधानी रांची से करीब 175 किमी दूर गुमला जिले के डुमरी प्रखंड स्थित लुचुतपाट की पहाडियों में अवस्थित है प्राक एतेहासिक बाबा टांगीनाथ धाम। घने जंगलों में स्थित टांगीनाथ धाम के बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान परशुराम का फरसा गड़ा हुआ है। यहां स्थानीय भाषा में फरसा को टांगी कहा जाता है, इसलिए इस जगह का नाम टांगीनाथ धाम हो गया। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक टांगीनाथ धाम, भगवान परशुराम का तपो स्थली है। भगवान परशुराम ने यहां शिव की घोर उपासना की थी और  यहीं उन्होंने अपने परशु यानी फरसे को जमीन में गाड़ दिया था। इस फरसे की ऊपरी आकृति कुछ त्रिशूल से मिलती-जुलती है। यही वजह है कि श्रद्धालु इस फरसे की पूजा अर्चना करते हैं। महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक और पूजा अर्चना करने के लिए यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है।

यह फरसा यहां हजारों साल से बिना किसी देखभाल के गड़ा हुआ है लेकिन आज तक इस पर जंग नहीं लगा है। लोगों का कहना है कि फरसा भूमि में कितना गड़ा हुआ है, यह कोई नहीं जानता। 

टांगीनाथ धाम  के करीब 15 किमी के परिधि में लोहार जाति के लोग नही बसते। स्थानीय निवासी बताते हैं कि  एक बार क्षेत्र मे रहने वाली लोहार जाति के कुछ लोगो ने लोहा प्राप्त करने के लिए फरसे को काटने प्रयास किया था। काफी कोशिश के बाद भी वे फरसा नहीं काट पाए, लेकिन इसका नतीजा बहुत बुरा हुआ। उनकी जाति के लोगो को इस दुस्साहस कि कीमत चुकानी पड़ी और वो अपने आप मरने लगे। इससे डर के लोहार जाति ने वो क्षेत्र छोड़ दिया और आज भी धाम से 15 किमी की परिधि में लोहार जाति के लोग नही बसते।