कैलाश पर्वत पर किसी के ना चढ़ पाने के पीछे कई कारण है।
कुछ लोग ये भी मानते है। कि कैलाश पर शिव जी का निवास है इसलिये कोई जीवित व्यक्ति इस पर्वत पर नही चढ़ सकता।
ऐसा भी देखा गया है। कि कैलाश पर्वत पर थोड़ा चढ़ते ही व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है। और बिना दिशा के पर्वत पर चढ़ना असंभव है।
एक पर्वतारोही ने अपनी किताब मे लिखा था। कि उसने कैलाश पर चढ़ने का असफल प्रयास किया क्योकि इस पर्वत पर रहना असंभव है। क्योकि वहाँ पर शरीर में बाल व नाखून बहुत तेजी से बढ़ने लगते है।
इसके अलावा कैलाश पर्वत बहुत ही ज्यादा रेडियोएक्टिव भी है
वैज्ञानिक कैलाश को पृथ्वी का केन्द्र भी मानते है। यदि आप कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील के क्षेत्र मे जायगे तो आपको निरंतर एक आवाज सुनाई देगी इसे ध्यान से सुनने पर यह आवाज डमरू या ऊँ की ध्वनि जैसी होती है।
रुस के एक पर्वतारोही ने बताया कि जब मै कैलाश पर्वत के बिल्कुल पास पहुँच गया तो मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा वा कमजोरी आने लगी तो उस पर्वतारोही ने वापस लौटना ही उचित मान लिया।
इसके अलावा कहते है। कि कैलाश पर्वत का कोण 65 डिग्री से ज्यादा है। जो इसकी चढ़ाई को और दुर्लभ बनाता है।
लेकिन 1928 मे एक बौद्ध भिक्षु मिलारेपा ही कैलाश की तलहटी मे पहुँच पाये और कैलाश पर चढ़ने मे सफल रहे।