ध्यान, योग और आध्यात्म मानव कल्याण के महत्वपूर्ण अवयव माने जाते है। जिनमे से ध्यान के विषय में कुछ महत्वपूर्ण बातें यहाँ पर दी गयी है। ये जानकारियां काफी रोचक महत्वपूर्ण और व्यक्ति के आत्म कल्याण के लिए काफी आवश्यक है।
शांत और स्थिर मन :
वैज्ञानिक रूप से भी यह सिद्ध हो चुका है कि ध्यान व्यक्ति के मन को शांत रखने में काफी सहायक होता है, मानव मन को चंचल माना जाता है जिस पर काबू कर लेना बहुत ही महत्वपूर्ण भी है और लाभकारी भी हैं। नियमित रूप से की जाने वाली ध्यान योग क्रिया व्यक्ति में एक ऐसी आनंदमय स्थिति का निर्माण करने में सक्षम होती है, जिसे व्यक्ति की कोई भी बाहरी सांसारिक विषम परिस्थिति विचलित नहीं कर पाती है।
मानसिक संतुलन :
ध्यान व्यक्ति के मानसिक संतुलन को बनाए रखने में सहायता करता है, जिसका अर्थ है कि ध्यान का नियमित अभ्यास करने से व्यक्ति तनाव, चिंता, अवसाद, क्रोध, व्यसन आदि जैसी विभिन्न नकारात्मकताओं से भी छुटकारा पा सकते हैं।
स्वास्थ्य में सुधार :
मनुष्य के मन में अशांति और तनाव यदि लंबे समय तक बना रहे तो वह कई बीमारियों का कारण बनता है, अतः व्यक्ति को अपने मन को शांत और संतुलित रखते हुए नियमित रूप से ध्यान करना चाहिए। ध्यान न केवल बीमारियों और रोगों को रोकने में सहायता करता है बल्कि बीमारियों से उबरने में भी बहुत मददगार सिद्ध होता है।
एकाग्रता में वृद्धि :
ध्यान का एक उत्तम लाभ यह भी है कि इससे व्यक्ति की अपने मन को केंद्रित करने की क्षमता बढ़ जाती है और एक केंद्रित मन बहुत शक्तिशाली एवं उत्पादक होता है।
रचनात्मक पक्ष में वृद्धि :
ध्यान करने से कार्य क्षेत्र में उत्पादकता और दक्षता भी बढ़ जाती है। ध्यान व्यक्ति को निर्णय लेने में स्पष्टता प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति को केवल उन विषयों पर ध्यान केंद्रित करना आ जाता हैं जो वास्तव में उसके लिए अधिक महत्वपूर्ण है। व्यक्ति के जीवन में एक बार जब स्पष्टता आ जाती है, तो वह व्यर्थ की बातों और विषयों में अपना समय बर्बाद नहीं करते हैं।
जब व्यक्ति ध्यान करना आरम्भ करता हैं, तो उसका झुकाव केवल उन्ही कार्यों को करने के लिए होता है, जो उनको खुशी प्रदान करते हैं। अधिकांशतः देखा जाता है कि व्यक्ति जब किसी कार्य को प्रेम पूर्वक करता हैं, तो वह व्यक्ति उसे पूरे ध्यान के साथ करता हैं जिसमें बेहतर परिणाम के साथ ही उसकी कार्य दक्षता में भी वृद्धि हो जाती है।
ईश्वरीय कृपा के प्रति श्रद्धा में वृद्धि :
व्यक्ति किसी एक सर्वोच्च परम शक्ति में विश्वास करें या नहीं, किन्तु उसके चारों ओर हर जगह एक अज्ञात शक्ति काम कर रही है, जिसका एक स्वरूप हम प्रकृति के रूप में भी देखते है। उस शक्ति को 'ईश्वरीय कृपा' कहा जा सकता हैं जिसके साथ में सामंजस्य बना करके रहने से, व्यक्ति का जीवन आनंदमय और सहज होता जाता है। यदि व्यक्ति का तालमेल ठीक नहीं है, तो उसको जीवन में कई प्रकार की समस्याओं और निराशाओं का सामना करना पड़ता हैं। ध्यान व्यक्ति को उस ईश्वरीय कृपा के प्रति श्रद्धावान बनाता है।
आध्यात्मिक कल्याण :
ध्यान का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह व्यक्ति को उसके खुद के 'सच्चे स्वरूप' को जानने में मदद कर सकता है, जो कि ब्रह्मांड की हर एक चीज का 'स्रोत' है। ध्यान व्यक्ति को उसके 'सच्चे स्वरूप' का दर्शन करा सकता है जो कि ध्यान की सीमा है, क्योंकि एक स्तर के बाद में, कोई भी क्रिया और गतिविधि (ध्यान भी नहीं) व्यक्ति को उसके सच्चे स्वरूप का 'अनुभव' कराने में असमर्थ हो जाता है। यहाँ से आगे की यात्रा व्यक्ति को केवल ईश्वरीय कृपा से ही करनी होती है जो उसे अपने सच्चे 'आत्मस्वरूप' का अनुभव करा सकती है। फिर एक बार जब व्यक्ति अपने पवित्र आत्मस्वरूप का अनुभव कर लेता हैं, तो वह अपने भाग्य का स्वामी बन जाता हैं। इस विषय को निम्नलिखित उदाहरण की सहायता से समझा जा सकता हैं।
जिस प्रकार यदि व्यक्ति को तालाब के पानी में अपना स्पष्ट प्रतिबिंब देखना हो, तो उसे पानी की लहरों के शांत होने का धैर्यपूर्वक इंतजार करना होगा। व्यक्ति अपने हाथ का उपयोग केवल पानी की अवांछित पत्तियों आदि कचरों को हटाने के लिए कर सकता हैं। किन्तु यदि वह पानी की लहरों को शांत करने के लिए अपने हाथ का उपयोग करेगा, तो उसकी ये गतिविधि और भी अधिक लहरें पैदा करे देगी। इस यात्रा में एक स्तर के बाद में व्यक्ति को अपने सभी प्रकार के प्रयासों को छोड़ना होगा और फिर एक दिन जब वह उम्मीद भी नहीं कर रहा होंगा, तब उसे अपने सच्चे आत्मस्वरूप से साक्षात्कार करने का अनुभव प्राप्त होगा।
ध्यान इस यात्रा में अपने हाथ से अवांछित पत्तियों को साफ करने की तरह है, एक बार जो सफलतापूर्वक इसमें सिद्ध होने पर, फिर ध्यान की भी आवश्यकता नहीं रह जाती है। हालांकि, अधिकांश लोग आध्यात्मिकता में वह स्तर प्राप्त नहीं कर सके हैं, जिसमें वे अपने सभी प्रयासों को पूर्ण समर्पण के साथ त्याग सकें और अपने मन को बिना इससे प्रभावित हुए धैर्यपूर्वक दूर से देख सके।
इसलिए उन्हें पहले ध्यान करने की आवश्यकता है, ताकि वो अपने, चंचल मन को शांत कर सकें। जो व्यक्ति के नियंत्रण से बाहर रहता है और उनके जीवन की अधिकांश समस्याओं का कारण बनता है।
कैसे करें ध्यान :
गहरी ध्यान तकनीकों को एक अनुभवी गुरु / अनुभवी शिक्षक से सीखना चाहिए, जो व्यक्ति के अंदर ध्यान के बीज को प्रत्यारोपित करने के लिए एक वातावरण बना सकते हैं। वैसे तो वर्तमान परिस्थितियों में, अधिकांश लोग गहरी ध्यान तकनीकों के लिए तैयार नहीं होते हैं अतः पहले उनको तैयार करने के लिए एक मजबूत नींव की आवश्यकता होती है, ताकि बाद में उनको किसी भी समस्या से जूझना न पड़े।