हरियाणा प्रान्त के यमुनानगर ज़िले में स्थित कपाल मोचन, भारत के पवित्र स्थलों में से एक है। इस तीर्थ के विषय में ऐसी मान्यता है कि यहाँ स्थित सोम सरोवर में स्नान करने से भगवान शिव को ब्रह्मादोष से मुक्ति मिली थी। कोई भी विधायक या फिर मंत्री यदि कपाल मोचन में मेले के समय आता है तो वह दोबारा कभी चुनाव में नहीं जीत पाता और न ही सत्ता में आ पाता है, ऐसी लोक मान्यता भी इस स्थान के विषय में प्रचलित है।
स्कंद महापुराण के अनुसार कलयुग के प्रभाव से ब्रह्मा जी अपनी पुत्री सरस्वती के प्रति मन में बुरे विचार रखने लगे। उनसे बचने के लिए सरस्वती ने द्वैतवन में भगवान शिव से सहायता मांगी। यह बात जानकर सरस्वती की रक्षा के लिए भगवान शिव ने क्रोध में आकर ब्रह्मा जी का सिर काट दिया, जिससे उन्हें ब्रह्मा हत्या का पाप लगा और उनके हाथ में ब्रह्मा कपाली का निशान बन गया। सभी तीर्थों में स्नान और दान आदि करने के पश्चात भी शिव जी के हाथ से वह ब्रह्मा कपाली का निशान दूर नहीं हुआ।
घूमते-घूमते भगवान् शिव और माता पार्वती सोमसर (कपाल मोचन) तालाब के निकट देव शर्मा नामक एक ब्राह्मण के घर ठहरे। किवदंती के अनुसार, रात के समय ब्राह्मण देव शर्मा के आश्रम में एक गाय का बछड़ा अपनी माता से बात कर रहा था कि कल सुबह ब्राह्मण उसे बधिया करेगा। ब्राह्मण द्वारा उसके साथ किये जाने वाले व्यवहार के लिए बछड़ा क्रोधित था वह अपनी माँ से बोला कि मै ब्राह्मण की हत्या कर दूंगा। यह सुनकर गौ माता ने बछड़े को ऐसा करने से मना किया, क्योंकि ऐसा करने से तुझे को ब्रह्मा हत्या का पाप लग जायेगा। यह सुनकर बछड़े ने गौ माता से ब्रह्मा हत्या के दोष से मुक्त होने का उपाय पूछा। तब गौ माता द्वारा बछड़े को बताये गए ब्रह्मा हत्या दोष से मुक्त होने के उपाय माता पार्वती ने भी सुने।
अगले दिन सुबह जैसे ही ब्राह्मण ने बछड़े को बधिया करने का कार्य शुरू किया तो बछड़े ने ब्राह्मण की हत्या कर दी, जिससे उसे ब्रह्मा हत्या का पाप लग गया। पाप के प्रभाव से बछड़े और गाय का रंग काला हो गया। इस घटना से गौ माता बहुत दुखी हुई। जिसे देख बछड़े ने गौ माता को अपने पीछे आने के लिए कहा और दोनों ने सोमसर तालाब में जाकर स्नान किया, जिससे उनका रंग पहले की तरह सफेद हो गया। इस प्रकार वे दोनों ब्रह्म दोष से मुक्त हो गए। इस सारे घटनाक्रम को देखने के बाद माता पार्वती के कहने पर भगवान शिव ने भी सरोवर में स्नान किया। जिससे उनका बह्मा हत्या का दोष दूर हो गया और उनके हाथ पर बना ब्रह्मा कपाली का निशान भी हट गया। जिसके बाद सोम सरोवर के इस क्षेत्र का नाम कपाल मोचन हो गया।