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Maa Laxmi

देवी माँ लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं, जो भौतिक और आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में प्रगति प्रदान करती हैं। 'लक्ष्मी' शब्द संस्कृत के शब्द लक्ष्मे से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है "लक्ष्य।" इसलिए, माँ लक्ष्मी जीवन के लक्ष्य का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें सांसारिक के साथ-साथ आध्यात्मिक समृद्धि भी सम्मिलित रहती है। हिंदू पौराणिक गाथाओ में उनको श्री भी कहा जाता है, वह भगवान श्री हरी विष्णु की दिव्य जीवनसंगिनी है और धन और भाग्य की देवी है।

माँ लक्ष्मी को एक राजा के महल में राज्यलक्ष्मी रूप में, एक घर में वह गृहलक्ष्मी रूप में, युद्ध के मैदान में माँ चंचल जयलक्ष्मी है जो पक्ष बदलती रहती है। प्रसिद्धि की देवी के रूप में माँ यशोलक्ष्मी हैं और भाग्यलक्ष्मी के रूप में वह सौभाग्य का प्रसार करती हैं तथा परम आदर्श रूप में देवी महान माँ महालक्ष्मी हैं।

देवी माँ लक्ष्मी की व्याख्या तो ऋग्वेद में नहीं हैं किन्तु इस शब्द का प्रयोग वहां पर सौभाग्य के लिए किया जाता है। वहीँ विष्णु पुराण में उनको भगवान् विष्णु की अर्धांगिनी के रूप में दिखाया गया हैं। वह समुद्र के महा मंथन के दौरान उत्सर्जित हुई और विष्णु भगवान् के वाम भाग में उनकी पत्नी स्वरुप में विराजित हुई। उसके बाद विष्णु भगवान् के सभी अवतरणों में, माँ लक्ष्मी उनके साथ पृथ्वी पर आयी। जब भगवान् विष्णु ने बौना वामन अवतार लिया तब भी वे पद्मा के रूप में अवतरित हुई। वराह अवतार के समय वह उनके साथ वह कमला रूप में थीं। परशुराम के साथ वह धरनी बनकर आयी, श्री राम जी के साथ वह माता सीता बनी थीं और श्री कृष्ण जी के साथ वह माँ रुक्मिणी थीं।

माँ लक्ष्मी को कोमल, गुणवती और स्वर्णिम छठा वाली एक सुंदर स्त्री रूप में दिखाया गया है। उनके आस पास एक शांति  और शीतलता प्रदान करने वाली ऊर्जा का वास है जो गौरा अथार्त माँ पार्वती के तेज के सामान है। माँ लक्ष्मी सूंदर स्वर्मिण  लाल रंग के रेशमी वस्त्र धारण किये हुए हैं। तियारा और कमल के फूलों की एक सूंदर माला सहित कई सोने के आभूषण भी उन्होंने पहन रखे हैं। माँ लक्ष्मी आमतौर पर एक खिले कमल पुष्प पर विराजमान रहती है, साथ ही उनका वाहन उल्लू भी उनके साथ ही रहता है। वह कमल पुष्प और मोतीयो की माला अपनी भुजाओं में धारण किये है साथ ही स्वर्ण आभूषणों का थाल उनके सम्मुख रहता है जिसमे उनके हस्त से स्वर्णवर्षा होती रहती है।

माँ लक्ष्मी के दोनों और दो हाथियों को दर्शाया जाता है जो अपनी सूंढ़ से गंगा जल की वर्षा कर रहे है। माँ लक्ष्मी अपने स्वामी भगवान् विष्णु की तरह, बहुत दयालु देवी है जिनको प्रसन्न करना बहुत सरल है। माँ लक्ष्मी समृद्धि का संकेत देती है। माँ लक्ष्मी जी की पूजा समृद्धि की कामना को पूर्ण करती है और इसके लिए कर्तव्य निष्पादन का सामर्थ प्रदान करती है। एक बेहद खूबसूरत महिला का चित्रण, वह एक कमल पर बैठती है। उसके दो हाथों में खिलने के विभिन्न चरणों में कमल हैं। और यहां तक कि एक कमल की माला भी पहनता है।

माँ लक्ष्मी सामान्यतः पर तीन वाहनों में से एक पर आती है। अपने प्रबुद्ध पहलू में, सात्विक गुण रूप में, वह गरुड़ पर भगवान् श्री हरी विष्णु के साथ आती है। अपने भौतिकवादी स्वरुप में, रजस्व गुण में, वह अपने दोनों ओर दो हाथियों के साथ दिखाई देती है। उल्लू के साथ में माँ लक्ष्मी के तमस रूप यानी धन के हानिकारक पहलू को प्रदर्शित किया जाता है। यद्यपि उल्लू को बुरे शगुन का पक्षी और अंधेरे का प्रतीक माना जाता है, लेकिन उल्लू घटनाओं को संरक्षित करने की क्षमता के कारण ज्ञान और बुद्धि का भी प्रतीक है।

माँ लक्ष्मी की चार भुजाएं अंतरिक्ष में चार दिशाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं और इस प्रकार देवी के सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान होने का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं। वस्त्र रूप में धारण किया गया लाल रंग प्रगति का प्रतीक है जिस पर स्वर्णिम (सुनहरा) रंग की कारीगरी समृद्धि को प्रदर्शित करता है। देवी माँ लक्ष्मी सदैव अपने भक्तों को धन और समृद्धि प्रदान करती हैं।

कमल पुष्प के आसन पर खड़ी हुई माँ लक्ष्मी की प्रतिमा, इस बात का संकेत है कि इस संसार में रहते हुए व्यक्ति को अपने धन का आनंद लेना चाहिए, किन्तु उसके प्रति मोहग्रस्त नहीं हो जाना चाहिए। इस प्रकार का जीवन एक ऐसे कमल के सामान है जो पानी में उगने के पश्चात भी कभी पानी से गीला नहीं होता है।

चूँकि मानव शरीर का दाहिना भाग गतिविधि का प्रतीक है, माँ लक्ष्मी के पीछे के दाहिने हाथ में कमल इस विचार को व्यक्त करता है कि व्यक्ति को धर्म के अनुसार दुनिया में सभी कर्तव्यों का पालन भी करना चाहिए। ऐसा करने से मोक्ष (मुक्ति) की प्राप्ति होती है, जिसका प्रतीक माँ लक्ष्मी के पिछले बाएं हाथ में लिया गया कमल पुष्प है।

लक्ष्मी माता के सामने के बाएं हाथ से जमीन पर गिरने वाली स्वर्ण मुद्रायें बताती हैं कि वह अपने सभी भक्तों को धन और समृद्धि प्रदान करती हैं। साथ ही सामने का दाहिना हाथ भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए दिखाया गया है। भगवान विष्णु के एक पालनकर्ता और संरक्षक के कार्य में हाथ बंटाने के लिए माँ लक्ष्मी धन के हर रूप की स्वामी हैं।

माता महालक्ष्मी के आठ रूप हैं जिनकी पूजा उनके भक्तो द्वारा बहुत श्रद्धा से की जाती हैं। तथा अपने प्रत्येक रूप में, माँ अपने भक्तों को धन सम्पदा प्रदान करती है। माँ लक्ष्मी के ये आठ रूप कुछ इस प्रकार हैं

आदि - जो धन प्रदान करती है,
ऐश्वर्या - जो प्रसिद्धि प्रदान करती है,
धन्या - जो भोजन प्रदान करती है,
धान्या - जो अच्छी समृद्धि प्रदान करती है,
गजा - जो पैसा प्रदान करती है,
संतना - जो संतान प्रदान करती है,
वीरा - जो हमें ताकत प्रदान करती देता है,
विजया - जो हमें सफलता प्रदान प्रदान करती है।

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