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Karwa Chauth

भारतीय हिंदी विक्रमी सम्वत पंचांग के कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का उपवास होता है। करवा चौथ के दिन, विवाहित महिलाएं प्रातः सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास करती हैं और अपने पति के स्वास्थ्य, सुरक्षा और लंबे जीवन के लिए भगवान् से प्रार्थना करती हैं।

करवा चौथ व्रत एक बहुत ही कठिन नियमों वाला व्रत होता है जिसको महिलाएं सूर्योदय के बाद पानी की एक बूंद के सेवन से भी परहेज करते हुए करती हैं। विवाहित महिलाएं व्रत के पूरा होने पर ही पानी पीती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्ध्य देकर ही भोजन ग्रहण करती हैं।

करवा चौथ का यह पवित्र त्योहार आंध्र प्रदेश राज्य में अटाला तादे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं मेहंदी लगाकर अपने हाथ रचाती हैं, पारंपरिक परिधान जैसे साड़ी या लहंगा पहनती है, सौंदर्य परिधानों का प्रयोग करके सजती संवरती हैं और अपने सुन्दर सुहाग के प्रतीक रूप में माथे पर सिंदूर (सिंदूर) लगाती हैं।

उत्तर भारत में, करवा चौथ व्रत का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। सुबह सूर्योदय के बाद महिलाएं करवा चौथ व्रत की शुरुआत करती हैं और दिन में पूजा के बाद करवा चौथ व्रत कथा सुनती हैं।

उत्तर प्रदेश और राजस्थान में महिलाएँ करवा या मिट्टी के बर्तन सात बार आपस में एक दूसरे से बदलती हैं। शाम के समय चंद्रमा के आकाश में उगने पर, विवाहित भारतीय महिलाएं या एक छलनी के माध्यम से पानी में इसका प्रतिबिंब देखती हैं। वे चंद्रमा को जल से अर्ध्य भी चढ़ाती हैं और फिर पति अपनी पत्नी को व्रत पूर्ण करके खोलने के लिए जल पिलाते हैं।


करवा चौथ पर ना करे महिलाये ये काम

करवा चौथ व्रत का महिलाओ को कई दिन पहले से उत्साहित हो जाती है और पूजन की तैयारी में लग जाती है | करवा चौथ पर छलनी से चांद के दर्शन कर अपना व्रत तोडती है | यह व्रत उनके वैवाहिक जीवन में मंगलता लाने वाला बताया गया है | इस दिन कुछ ऐसे कार्य है जो महिलाओ को नही करने चाहिए | आइये जानते है उनके बारे मेंसफ़ेद - काले कपडो से बचे हर सुहागिन को करवा चौथ के दिन...Read More