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Mahashivratri

महा शिवरात्रि : आध्यात्मिकता, श्रद्धा, विश्वास, पूजा, और भक्ति का दिन

हिंदू पौराणिक मान्यताओं में भगवान शिव को सर्वाधिक पूजनीय देव कहा जाता हैं। 'त्रिमूर्ति' (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) में सबसे शक्तिशाली देव है भगवान् शिव। श्रद्धालुओं द्वारा भगवान शिव को नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता हैं। भगवान शिव को सुख और समृद्धि का दाता भी माना जाता है क्योंकि शिव भक्त अपने जीवन में उनकी भक्ति के परम सुख प्राप्त करते हैं। शिव भक्तों के द्वारा उनको शिव शंभु, भोलेनाथ, भोले शंकर, महादेव, रुद्रदेव, नीलकंठ आदि कई नामों से पुकारा जाता हैं।

माना जाता है कि हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने विष(जहर) से भरा घड़ा पिया था; यह भी माना जाता है कि अगर तब शिव ने जहर नहीं पिया होता तो सारा ब्रह्मांड उसी के साथ खत्म हो जाता। जहर पीने के बाद उसके प्रभाव से शिव जी का कंठ (गला) नीले रंग का दिखायी देने लगा, यही कारण है कि उनका नाम 'नीलकंठ' रखा गया है। भगवान शिव में बुराइयों को नष्ट करने की शक्ति है और इसलिए उन्हें विध्वंसक कहा जाता है; उन्हें महादेव के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उनके पास ब्रह्मांड को सभी विपत्तियों से बचाने की शक्ति है। भक्त उन्हें महेश्वर भी कहते हैं (यह दो संस्कृत शब्दों महा और ईश्वर से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ क्रमशः 'महान' और 'भगवान्' है)। शिव एक ऐसे देव हैं जो सभी सांसारिक सुखों को छोड़ करके अपने सभी भक्तों को बुरी शक्तियों से होने वाले दुष्प्रभावों से बचाने के लिए शमशान  में भी रह लेते है। यह भी माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी सच्ची भक्ति के साथ भगवान शिव की पूजा करता है तो वह अपने जीवन में परम सुख को जल्द ही प्राप्त कर लेता है।

शिव भक्त हिंदू हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा दूध और 'बेलपत्र' (बेल के पेड़ की पत्तियां) से करते हैं। विश्व में भक्त आमतौर पर भगवान शिव जलाभिषेक करने के लिए श्रावण (जिस समय भारत में बारिश का मौसम रहता है) के महीने में पवित्र गंगा जल (माँ गंगा का पवित्र जल) कांवड़ में कंधे पर लेकर चलते हैं। इस गंगा जल को शिवलिंग पर अर्पित करके शिव भगवान् का जलाभिषेक किया जाता है। अपने आराध्य भगवान शिव को गंगा जी के पवित्र जल से स्नान कराने से वे सभी पापों और भय से मुक्त हो जाते है। हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान शिव के साथ बहुत सारी मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं।

हिन्दुओं द्वारा भगवान शिव की पूजा करने के लिए एक और महत्वपूर्ण दिन रखा गया हैं जिसे फाल्गुन के महीने में 'महा शिवरात्रि' के रूप में जाना जाता है; जो कि मास के कृष्ण पक्ष के 14 वें दिन पड़ती है। यह दिन हिंदू शिव भक्तों के जीवन में बहुत महत्व रखता है। आमतौर पर वे इस दिन उपवास रखते हैं और भगवान शिव, को 'प्रसाद' और 'भांग' अर्पित करते हुए शिव आराधना करते हैं।

शिवरात्रि की पौराणिक कथा :

शिवरात्रि को देवी पार्वती के साथ भगवान शिव के विवाह का दिन भी माना जाता है। कुछ भक्तों का कहना है कि इस दिन भगवान शिव ने अपना प्रसिद्ध नृत्य 'तांडव' किया था। तांडव पृथ्वी पर घटित होने वाली तीन मुख्य अवधारणाओं (सृजन, संरक्षण और विनाश) में से महत्वपूर्ण विनाश का प्रतीक माना जाता है;। इस शुभ दिन के साथ एक पौराणिक कहानी भी जुड़ी हुई है। मान्यताओं के अनुसार दक्ष नाम का एक राजा था और उसकी एक बेटी थी जिसका नाम 'सती’ था। सती भगवान शिव से प्रेम करती थी और वह उनको अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप करती है। एक दिन भगवान् शिव ने उसकी प्रार्थना सुन ली और उससे शादी करना स्वीकार कर लिया। लेकिन राजा दक्ष अपने अहंकार में भगवान शिव को अपने यहाँ कराये गए अश्वमेघ यज्ञ के लिए आमंत्रित नहीं करते है, मगर माता सती के कहने पर शिव उनके साथ इस यज्ञ में भाग लेने दक्ष के यहाँ चले जाते है। जहाँ पर राजा दक्ष के द्वारा भगवान शिव का अपमान किया जाता है भगवान् शिव के इस अपमान को माता सती बर्दाश्त नहीं कर सकी और हवं कुंड की आग में कूद गई। इस घटना से भगवान शिव उग्र हो गए और अपने रौद्र रूप में उस स्थान पर 'तांडव' किया। अपनी बेटी को खोने के बाद उग्र राजा दक्ष ने भगवान् शिव को शाप दिया कि उनकी पूजा ‘शिव लिंग’ के रूप में की जाएगी।

माता सती ने पार्वती के रूप में एक और जन्म लिया; पर्वतों के राजा 'हिमालय' की बेटी के रूप में और फिर शिव पार्वती का विवाह होता हैं। उस दिन से भक्तगण भक्ति और विश्वास के साथ फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष के 14 वें दिन को ’महा शिवरात्रि’ के रूप में मनाते हैं।


महा शिवरात्रि पर उत्सव और उपवास :

उस दिन लोग उपवास रखकर हर साल 'महा शिवरात्रि’ मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से युवा लड़कियों की शादी जल्द ही किसी योग्य वर से हो जाती है। यह भी माना जाता है कि अविवाहित लड़कियों भगवान शिव के जैसा योग्य वर पति के रूप में प्राप्त होता है यदि वे इस व्रत को बहुत भक्ति और समर्पण के साथ रखती हैं तो। शिव भक्त महा शिवरात्रि के दिन शिव मंदिर में दूध, जूस, शहद और बेल पत्र (जो भगवान शिव को अतिप्रिय माना जाता है) के साथ जाते हैं। शाम को वे फिर से भगवान शिव के लिए 'दीप' प्रज्ज्वलित करने शिव मंदिर जाते हैं। कहा जाता है कि भक्त उस दिन दीप को बुझाया  नहीं जाता हैं और पूरी रात दीप जलाकर भगवान् शिव की भक्ति की जाती है। शिव भक्तों का मानना है कि पूरी रात दीये जलाने से उन्हें जीवन भर समृद्धि और खुशी मिलेगी। उस दिन लोग भोजन के रूप में केवल फलों का रस लेते हैं; यहां तक कि कुछ लोग भगवान शिव के प्रति अपनी परम भक्ति दिखाने के लिए उस दिन पानी भी नहीं पीते हैं। पूरे भारत में बहुत ही भक्ति और उत्साह के साथ यह शुभ दिन मनाया जाता है; सभी प्रसिद्ध शिव मंदिरों को रोशनी और दीयों से सजाया जाता है। लोग मंदिरों के परिसर में भजन और शिव महा मृत्युंजय मंत्र का जाप भी करते हैं।

महामृत्युंजय मंत्र - सावधानी एवम् विधि

महामृत्युंजय मंत्रॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वःॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्उर्वारुकमिव बन्‍धनान्मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात्ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !Click here to know Word By Word Meaning of Mahamritunjay Mantraमहामृत्युंजय मंत्र का अर्थहम तीन नेत्रों वाले शिव का पूजन करते है जो समस्त प्राणियों के जीवन को अपनी सुगंध से समृद्ध करते है , स्वास्थ धन सुख और...Read More