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Temple of Goddess Savitri

भारत के पवित्र तीर्थो में से एक है राजस्थान में अजमेर के पास पुष्कर तीर्थ। यही वह पवित्र भूमि है जहा जगत के रचियता ब्रह्मा जी ने सृष्टि के आरम्भ से पूर्व हवन किया था। हवन में उन्हें अपनी पत्नी का साथ चाहिए था पर उनकी धर्म पत्नी सावित्री वहा उपस्तिथ नही थी , अत: उन्होंने नंदिनी गौ के मुख से गायित्री को प्रकट कर उससे विवाह किया और अपने साथ हवन में सम्मिलित किया। यह बात जब सावित्री को पता चली तो वे रुष्ट होकर पुष्कर की इस पहाड़ी पर विराजमान हो गयी। और फिर बन गया उनका यह मंदिर।
 
रत्‍नागिरी पहाडि़यों के शीर्ष पर, सावित्री मंदिर को 1687 में बनाया गया था और यह मंदिर भगवान ब्रहमा से रुष्ट हुई गई पत्‍नी सावित्री को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा से नाराज होकर वे इस पहाड़ी पर रुष्ट होकर अपने तप में लग गयी थी । यह मंदिर 650 फीट की ऊंचाई पर है। माँ सावित्री के साथ बाई तरफ सरस्वती माँ विराजमान है। दर्शनार्थी माँ को रोली मोली , सुहागिन की चीजे , चुनरी आदि चढाते है और सुखी दाम्पत्य जीवन की विनती करते है। मंदिर का शिखर केसरी रंग में रंगा हुआ है।
 
इस मंदिर तक पहुंचने का रास्‍ता पहाडियों से होकर जाता है और मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग एक घंटे का समय लग जाता है। यात्रियों की सुविधा के लिए उड़न खटोले ( Rope Way ) की भी व्यवस्था है। ऊपर पहाड़ी पर पहुंचकर आप पूरा पुष्कर देख सकते है। कार्तिक पूर्णिमा के समय यहा पुष्कर मेला बड़ी धूम धाम से भरता है जिसमे देश विदेश से लाखो श्रद्दालु आते है।