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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग पुणे से लगभग 100 किलोमिटर दूर सेह्याद्री की पहाड़ी पर स्थित है। इसे भीमाशंकर भी कहते हैं। शिवपुराण में यह इससे जुडी कथा के अनुसार – प्राचीनकाल में भीम नामक एक महाप्रतापी राक्षस था। वह कामरूप प्रदेश में अपनी माँ के साथ रहता था। वह महाबली राक्षस, राक्षसराज रावण के छोटे भाई कुंभकर्ण का पुत्र था। लेकिन उसने अपने पिता को कभी देखा न था। जब वो बड़ा हुआ तब उसकी माँ ने उसके पिता और श्री राम के द्वारा मारे जाने का वृतांत सुनाया।


 

यह सुनकर वह महाबली राक्षस अत्यंत क्रुद्ध हो उठा। अब उसके जीवन का एकमात्र लक्ष्य भगवान्‌ श्री हरि का वध करना था।


अपने पिता की तरह उसने अशीम शक्तियों को प्राप्त करने के लिए एक हजार वर्ष तक ब्रह्माजी की कठिन तपस्या की। ब्रह्माजी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे लोक विजयी होने का वर दे दिया। धीरे धीरे वरदान के प्रभाव से उनसे तीनो लोको को जीत लिया और अन्याय पाप और अधर्म हर जगह फलने लगा।


अपने जीवन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए उसने विष्णु से भी युद्ध करके उन्हें भी परास्त कर दिया और उसके बाद कामरूप के परम शिव भक्त राजा सुदक्षिण को हराकर उसनके राज्य और उन्हें बंदी बना लिया। उसके अत्याचार से धर्म संकट में पड़ गया। धर्म की राह चलने वालो को वो नाना प्रकार की सजा दी जाने लगी। तीनो लोको में उसके अत्याचार से त्राहिमाम त्राहिमाम होने लगा।


 

भीम के अत्याचार की भीषणता से घबराकर ऋषि-मुनि और देवगण भगवान्‌ शिव की शरण में गए और उनसे अपना तथा अन्य सारे प्राणियों का दुःख कहा। उनकी यह प्रार्थना सुनकर भगवान शिव ने शीघ्र ही उसके संहार की बात कही । यह सुनकर सभी ऋषि-मुनि और देवगण शिवजी की जयजयकार लगाकर और बिना किसी चिंता के चले गये । अब उन्हें पूर्ण विश्वास था की राक्षक भीम का काल निकट है।



इधर दैत्य भीम के बंदीगृह में पड़े हुए राजा सदक्षिण ने भगवान्‌ शिव का परम ध्यान किया और अपने जीवन को अपने महादेव को समर्प्रित करते हुए पार्थिव शिवलिंग ही पूजा अर्चना करने लगे। यह उस अधर्मी भीम से देखा नहीं गया और क्रोध में उसने पार्थिव शिवलिंग पर प्रहार किया। तभी रूद्र रूप धरी शिव प्रकट हुए और उनके देखने मात्र से क्षण में राक्षस भस्म को गया।


 

भगवान्‌ शिवजी का यह अद्भुत कृत्य देखकर सारे ऋषि-मुनि और देवगण वहाँ एक होकर उनकी स्तुति करने लगे। उस सभी की विनती पर और लोक कल्याण के लिए शिवजी का इस शिवलिंग में निवास हो गया। यह परम पुण्य क्षेत्र बन गया शिव भक्तो के लिए। यहा शिवजी का साक्षात् वास है और भक्तो की मनोकामना दर्शन मात्र से ही पूरी की जाती है।