उज्जैन की अवंतिका नगरी पहचानी ही जाती है महाकालेश्वर के इस दिव्य ज्योतिर्लिंग से। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में यहा शिवजी महाकाल अर्थात काल के भी देवता के रूप में पूजे जाते है। तंत्र साधना के लिए यह ज्योतिर्लिंगों में पहला शिवलिंग है जो दक्षिण मुखी है। शिव को जगत का संहारक बताया गया है और इसी क्रम में इन्हे महाकाल की संज्ञा दी गयी है।
महाकाल ज्योतिर्लिंग उज्जैन
महाकाल मंदिर की भस्म आरती है मुख्य आकर्षण
महाकाल मंदिर उज्जैन का मुख्य आकर्षण यहा की सुबह होने वाली भस्म आरती है। यह अति आलौकिक है जो मंत्रो , वाद्य-यंत्रों, शंख, डमरू और घंटी-घड़ियालों के संपन्न की जाती है। प्राचीन समय में यह रात को जलने वाली चिता से मिलने वाली भस्म से स्नान करवाया जाता था पर अब इस समय लकड़ी और गोबर के उपले और कन्डो से बनी भस्म से स्नान करवाते है।
यह देखने देश विदेश से लाखो भक्त आज उज्जैन की पवित्र नगरी में आते है। भस्म आरती के बाद इन्हे फिर से स्नान कराया जाता है और फिर अनुपम श्रंगार से सजते है बाबा महाकाल। भस्म आरती में पुरषों को धोती और स्त्रियों को साडी पहनना अनिवार्य है।
शिव महापुराण के अनुसार उज्जयिनी के निवासी दूषण नाम के राक्षस से पूरी तरह परेशान होने पर शिवजी की स्तुति करने लगे।
तब भोलेबाबा ने उन्हें यहा दर्शन देकर दूषण का वध किया और अपने रूप में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को यहा स्थापित किया।
हर सोमवार को मंदिर से महाकाल की रथ यात्रा निकली जाती है जो देखने में अति मनमोहक होती है।