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Shri Ram Status


रा अक्षर के कहत ही
निकसत पाप पहार ।
पुनि भीतर आवत नहिं देत
म कार किंवार ।।



गरज उठे गगन सारा 
समुद्र छोड़े अपना किनारा 
हिल जाए जहान सारा
जब गूंजे जय श्री राम का नारा


रघुपति राघव राजाराम ।
पतितपावन सीताराम ।।
जय रघुनन्दन जय घनश्याम ।
पतितपावन सीताराम ।।


बेर मीठे मीठे मेरे हाथो से वो खाएंगे
शबरी को भरोसा था की राम आएंगे
हम शबरी से तो नहीं फिर भी इन्तजार करेंगे 
पूरा है भरोसा हमसे मिलने भी राम आयेंगे 


रघुपति कीन्ही बहुत बडाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।।


हाथ में तलवार है 
वाणी में धार है 
फिर भी रहते शांत हैं 
क्योंकि श्री राम के संस्कार हैं 


भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंश-निकन्दनं |
रघुनंद आनँदकंद कोशलचंद दशरथ-नन्दनं ||


कहीं भी घर बना लो 
मैं तुम्हारे साथ चलूंगी 
मैं तो हूँ भारत की सीता 
वनवास में भी थामे तुम्हारा हाथ चलूंगी 



तुम आओ बनकर सीता और मेरे 
मन की पंचवटी में छिपे दशानन का कर लो अपहरण 
और मुझे राम कर दो 


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