किसी भी तीज-त्योहार पर अगर महिलाओं के हाथों में मेहंदी ना रची हो तो उनका श्रृंगार कुछ अधूरा सा लगता है। मेहंदी नारी श्रृंगार का एक अभिन्न अंग है जिसके बिना हर रीति-रिवाज अधुरा माना जाता है। तभी तो हमारे सभी त्योहारों के साथ ही शादी-विवाह के अवसर में भी मेहंदी का उपयोग सर्वोपरि किया जाता है। वैवाहिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए मेहंदी लगाना शुभ...Read More
पहला सुख निरोगी कायादूजा सुख घर में हो मायातीजा सुख कुलवंती नारीचौथा सुख पुत्र हो आज्ञाकारीपंचम सुख स्वदेश में वासाछठवा सुख राज हो पासासातवा सुख संतोषी जीवनऐसा हो तो धन्य हो जीवन1. पहला सुख निरोगी कायाअर्थात हमारे शरीर में किसी भी प्रकार का कोई भी रोग नहीं होना चाहिए कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए कोई कष्ट नहीं होना चाहिए किसी भी प्रकार की पीड़ा ...Read More
‘ऋषि’ वैदिक-संस्कृत भाषा का शब्द है। यह शब्द अपने आप में एक वैदिक परंपरा का भी ज्ञान देता है और स्त्री-पुरुष के समान अधिकारों को भी बताता है। वैदिक ऋचाओं के रचयिताओं को ऋषि कहा गया है।वैदिक कालीन सभी ऋषि गृहस्थ थे। ऋषि गृह त्यागी अथवा सन्यस्त नहीं थे। ऋषि शब्द किसी भी ऐसे विद्वान के लिए प्रयुक्त होता था जो कि नियमित गुरु-शिष्य अथवा वंशानुगत...Read More
किसी भी तीज-त्योहार पर अगर महिलाओं के हाथों में मेहंदी ना रची हो तो उनका श्रृंगार कुछ अधूरा सा लगता है। आपकी खूबसूरती के साथ आपके त्योहार में भी रंगत बढ़ाने के लिए आपके लिए प्रस्तुत हैं मेहंदी के कुछ चुनिंदा और खूबसूरत मेहंदी डिजाइन्स। हिन्दू धर्म की परंपरा में मेहंदी लगाने का प्रचलन काफी पुराने समय से होता आ रहा है, क्योंकि किसी शुभ...Read More
दुर्वाशा ऋषि अत्रि ऋषि ओर अनिसुया के पुत्र थे. इनके दो भाई ओर थे दत्तात्रेय ओर चन्द्रमा. दुर्वाशा ऋषि अपने गुस्से ओर नाराजगी के लिए भी कुख्यात थे. बहुत क्रोधी स्वाभाव के ऋषि थे. जल्दी ही छोटी छोति बातों पर नाराज़ होते थे. यह सतयुग त्रेता ओर द्वापर तीनो युगो मे रहे. इन्ही से आशीर्वाद लेकर कुंती ने देवताओं से पुत्र पैदा करने का मंत्र लिया. इनके दिए...Read More
मेहंदी को शगुन का प्रतीक माना जाता है। विवाह हो या त्यौहार मेहंदी की खुशबू मौके की रौनक में चार चाँद लगा देती है। विवाह के समय सारी स्त्रियाँ मेहंदी लगवाती हैं। प्राचीन समय से ही दूल्हे को भी मेहंदी लगाई जाती है। आजकल त्योहारों पर पुरुष भी मेहंदी लगाना पसंद करते हैं। मेहंदी शुभ शगुन के साथ साथ मानसिक शीतलता प्रदान करती है। पुरुषों के हाथों...Read More
संस्कृत भाषा भारतीय सनातन संस्कृति के प्राण तत्त्व वेद एवं शास्त्रों की नींव रही है। साथ ही संस्कृत को एक बहुत उन्नत भाषा भी माना जाता है, जिससे कई प्राचीन काव्यों एवं रचनाओं का जन्म भी हुआ है। यहां कुछ ऐसे उदाहरण दिए जा रहे है जो इस बात का श्रेष्ठ प्रमाण है कि कैसे आधुनिक भारत की विभिन्न संस्थाओं ने इस भारतीय भाषा को अपने दर्शन में अपनाया...Read More
उड़िया जो कि उड़ीसा राज्य की भाषा है। महाभारत के उड़िया भाषा के संस्करण में नवगुंजर का वर्णन देखने को मिलता है। इसके अलावा अन्य किसी भी भाषा के महाभारत संस्करण में इसका कोई उल्लेख देखने को नहीं मिलता है। यही नहीं महाभारत के युद्ध का प्रमुख क्षेत्र हस्तिनापुर है और इसके आस पास के इलाको में रहने वाले लोग भी इस जीव से पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं।...Read More
एक बार उद्धव जी को अपने योग और ज्ञान पर अभिमान हो गया वे बार भगवान् श्री कृष्ण को भी अपने ज्ञान और योग की भी सीख देने लगे उद्दव जी के इस प्रकार के व्यवहार को भगवान् श्री कृष्ण समझ गए और भगवान् ने उद्धव जी का अभिमान तोड़ने के लिए उन्हें अपने पास बुलाकर कहा की है ऊधो ब्रज में श्री राधा जी और समस्त गोपांगनाये जो मेरी प्रतीक्षा कर रही है उनको योग और...Read More
मेहंदी हाथो पर ही नहीं बल्कि पैरो भी बहुत खूबसूरत लगती है। विवाह व त्योहारों के समय स्त्रियाँ पैरों पे मेहंदी लगाना पसंद करती हैं। यहाँ प्रस्तुत हैं पैरो के लिए खूबसूरत मेहंदी के डिज़ाइन : ...Read More
एक बार पार्वती जी कुछ कारणों के कारण भगवान शिव से नाराज हो गई थीं, और भगवान शिव यह जानते थे। जिसके कारण भगवान शिव जी ने पार्वती जी के सामने नृत्य करके पार्वती जी का दिल जीतने का फैसला किया। और उन्होने सभी देवी-देवताओं जैसें विष्णु जी, लक्ष्मी जी, ब्रह्मा जी, सरस्वती जी, गण सिध्द, यक्षो, गन्धर्वो, अप्सराओं आदि से यथाशीघ्र मंदराचल पँहुचने को...Read More
एक बार अर्जुन को अपने त्याग और दान की भावना पर घमंड हो गया। तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को कहा कि इस दुनिया में तुमसे बड़े भी त्यागी है। तुम केवल अकेले नहीं हो। तब अर्जुन ने घमंड वश कहा कि आप मुझे मेरे से बड़ा त्यागी दिखाएं ।तब श्री कृष्ण ने खुद एक ब्राह्मण का भेष बना लिया और अर्जुन को एक शेर बना दिया। फिर दोनों रतनपुर गाव (छत्तीसगड़) में राजा मोरध्वज...Read More
यह आदिशक्ति के तीन रूप हैं - पहली पिंडी मां महासरस्वती की है, दूसरी पिंडी मां महालक्ष्मी की है, और तीसरी पिंडी शक्ति स्वरूप मां महाकाली की है।हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक 'माता वैष्णो देवी' का मंदिर जम्मू के कटरा में स्थित है। यह मंदिर आदि शक्ति की स्वरूप 'माता वैष्णो देवी' को समर्पित है। उत्तर भारत में यूं तो कई पौराणिक मंदिर...Read More
सूर्य भगवान सात घोड़ों द्वारा चलाए जा रहे रथ पर सवार होते हैं। सूर्य भगवान जिन्हें आदित्य, भानु और रवि भी कहा जाता है, वे सात विशाल एवं मजबूत घोड़ों पर सवार होते हैं। इन घोड़ों की लगाम अरुण देव के हाथ होती है और स्वयं सूर्य देवता पीछे रथ पर विराजमान होते हैं।सूर्य भगवान से जुड़ी एक और खास बात यह है कि उनके 11 भाई हैं, जिन्हें एकत्रित रूप में आदित्य भी...Read More
बेला पृथ्वीराज कि बेटी थी और कल्याणी जयचंद कि पौत्री।मोहम्मद गोरी जब हमारे देश को लूटकर अपने वतन गया तो गजनी के सर्वोच्च काजी और गोरी के गुरु निजामुल्क ने मोहम्मद गोरी को अपने महल में भव्य स्वागत करते हुए कहा कि "आओ गोरी आओ, तुमने भारत पर फतेह कर इस्लाम का नाम रोशन किया है, कहो "सोने कि चिड़िया हिंदुस्तान" के कितने पर कतर के लाये हो।""काजी साहब" मैं...Read More
ऋग्वेद के अनुसार जो अनाज खेतों मे पैदा होता है,उसका बंटवारा तो देखिए...1- जमीन से चार अंगुल भूमि का,2- गेहूं के बाली के नीचे का पशुओं का,3- पहली फसल की पहली बाली अग्नि की,4- बाली से गेहूं अलग करने पर मूठ्ठी भर दाना पंछियो का,5- गेहूं का आटा बनाने पर मुट्ठी भर आटा चीटियों का,6- चुटकी भर गुथा आटा मछलियों का,7- फिर उस आटे की पहली रोटी गौमाता की,8- पहली थाली घर के...Read More
रघुपति राघव राजाराम ।पतितपावन सीताराम ।।जय रघुनन्दन जय घनश्याम ।पतितपावन सीताराम ।।भीड़ पड़ी जब भक्त पुकारे ।दूर करो प्रभु दु:ख हमारे ।।दशरथ के घर जन्मे राम ।पतितपावन सीताराम ।। 1 ।।विश्वामित्र मुनीश्वर आये ।दशरथ भूप से वचन सुनाये ।।संग में भेजे लक्ष्मण राम ।पतितपावन सीताराम ।। 2 ।।वन में जाए ताड़का मारी ।चरण छुआए अहिल्या तारी ।।ऋषियों...Read More
कलयुग क्या है कलयुग का सीधा सा अर्थ है कलह। जहाँ भी कलह है वहां पर कलयुग है। जब भगवान श्री कृष्ण जी अपनी लीला करके अपने लोक में चले गए थे उसी समय से द्वापर युग खत्म हो गया था और कलयुग का आगमन हो गया है।कलयुग कितने साल का है। हमारे शास्त्रों में बताया गया है की कलयुग 4,32,000 वर्ष तक रहेगा। जिसकी गणना इस प्रकार की गई है।पुराण के मुताबिक मानव का एक वर्ष...Read More
तक्षशिला विश्वविद्यालय वर्तमान पाकिस्तान के रावलपिडी से 18 मील उत्तर की ओर स्थित था। जिस नगर में यह विश्वविद्यालय था उसके बारे में कहा जाता है कि श्री राम के भाई भरत के पुत्र तक्ष ने उस नगर की स्थापना की थी। यह विश्व का प्रथम विश्विद्यालय था जिसकी स्थापना 700 वर्ष ईसा पूर्व में की गई थी। तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरे विश्व के 10,500 से अधिक छात्र ...Read More
झारखंड राज्य की राजधानी रांची से करीब 175 किमी दूर गुमला जिले के डुमरी प्रखंड स्थित लुचुतपाट की पहाडियों में अवस्थित है प्राक एतेहासिक बाबा टांगीनाथ धाम। घने जंगलों में स्थित टांगीनाथ धाम के बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान परशुराम का फरसा गड़ा हुआ है। यहां स्थानीय भाषा में फरसा को टांगी कहा जाता है, इसलिए इस जगह का नाम टांगीनाथ धाम हो गया।...Read More
एक बार नारदजी वैकुण्ठ आए, तो उन्होंने देखा कि महाविष्णु चित्र बनाने में मग्न हैं और आसपास शिव, ब्रह्मा इत्यादि अगणित देवता विष्णु का कृपाकटाक्ष पाने के लिए लालायित खड़े हैं।किन्तु विष्णु को उनकी ओर देखने का अवकाश नहीं। चित्रलीन विष्णु ने नारद को भी नहीं देखा। विष्णु का यह व्यवहार नारद को बड़ा अपमानजनक प्रतीत हुआ। वे आवेश में विष्णु के समीप...Read More
सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है जिसकी श्रेष्ठता के प्रमाण उसकी विभिन्न कृतियों से आसानी से देखने को मिल जाते है। ऐसे - ऐसे अद्भुत आश्चर्य इसकी दिव्यता के है कि जानकार लोग हैरान रह जाते है। महान सनातन संस्कृति का एक ऐसा ही उदाहरण है, दक्षिण भारत का एक पौराणिक ग्रन्थ। जिसकी ये अद्भुत विशेषता जानकार कोई भी हैरान रह जाएगा। जब आप किसी किताब को सीधा...Read More
श्री राधा जी के नाम की बड़ी महत्ता है उनके 32 नामों का स्मरण करने से जीवन में सुख, प्रेम और शांति का प्रवाह होता है ऐसा माना जाता है। जीवन में धन और संपंत्ति तो आती जाती रहती है, जीवन में सबसे जरूरी है, प्रेम और शांति। मानव जीवन को शांत और सुखमयी बनाने के लिए श्री राधा जी इन 32 नामों का जाप करना चाहिए। 1. मृदुल भाषिणी राधा ! राधा !!2. सौंदर्य राषिणी...Read More
भारतीयों में चाहे वे वैदिक हों या सनातनी या जैन, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र आदि सभी के मांगलिक कार्यों विवाह आदि संस्कार होने पर ॐ और स्वास्तिक का प्रयोग किया जाता है । यह किसी भी ग्रामीण या शहरी संस्कृति में देखने को मिलता है । मांगलिक कार्यों में दरवाजे आदि पर लिखा जाता है । मंदिर के दरवाजे पर यह लिखा मिलता है ।स्वास्तिक को चित्र के रूप...Read More
सारंग धनुष, भगवान शिव के धनुष पिनाक के साथ, विश्वव्यापी वास्तुकलाकार और अस्त्र-शस्त्रों के निर्माता विश्वकर्मा द्वारा तैयार किया गया था। एक बार, भगवान ब्रह्मा जानना चाहते थे कि उन दोनों में से बेहतर तीरंदाज कौन है, विष्णु या शिव। तब ब्रह्मा ने दोनों के बीच झगड़ा पैदा किया, जिसके कारण एक भयानक द्वंद्वयुद्ध हुआ। उनके इस युद्ध के कारण पूरे...Read More
एक राजा हाथी पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था। अचानक वह एक दुकान के सामने रुका और अपने मंत्री से कहा- "मुझे नहीं पता क्यों, पर मैं इस दुकान के स्वामी को फाँसी देना चाहता हूँ।"यह सुनकर मंत्री को बहुत दु:ख हुआ। लेकिन जब तक वह राजा से कोई कारण पूछता, तब तक राजा आगे बढ़ गया।अगले दिन, मंत्री उस दुकानदार से मिलने के लिए एक साधारण नागरिक के वेष में...Read More
पुराणो मे अष्ट सिद्धि नव निधि का वर्णन किया गया है| हनुमान चालीसा की एक चौपाई मे हनुमान जी के लिए भी "अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता" बताया गया है|ये अष्ट सिद्धि हैअणिमा - शरीर को अणु की तरह छोटा सा कर लेने की शक्ति|महिमा- शरीर को असीमित विशालकाय बनाने की शक्ति|गरिमा- शरीर के भार को असीमित बढ़ा लेने की शक्ति|लघिमा- शरीर को वायु से भी हल्का केआर लेने की...Read More
शिवधनुष (संस्कृत: शिवधनुष:) या पिनाक (संस्कृत: पिनाक:) भगवान शिव का धनुष है। हिंदू महाकाव्य रामायण में इस धनुष का उल्लेख है, जब श्री राम इसे जनक की पुत्री सीता को अपनी पत्नी के रूप में जीतने के लिए भंग करते हैं।एक कथा के अनुसार, पिनाक भगवान शिव का मूल धनुष है जो विनाश या "प्रलय" के लिए उपयोग किया जाना है। मूल वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान देवेंद्र...Read More
भगवान आदि शंकराचार्य भिक्षाटन करते हुए एक घर में पहुचे, वह घर एक विधवा और गरीब महिला का था. द्वार पर खड़े युवा सन्यासी को देखकर वह महिला घर के अंदर घुस गई, सनातन परम्परा है, कि द्वार पर सन्यासी खड़ा हो तो गृहस्थ का यह कर्तव्य होता है की वह उसे दान करे । इसी विचार से उसने पूरा घर ढूंढ़ लिया, मगर एक आंवले के सिवा कुछ भी उस घर में नही था. संकोच के साथ उस आंवले...Read More
पद्म पुराण के अनुसार, अयोध्या का राजा बनने के बाद एक दिन भगवान श्रीराम को विभीषण का विचार आया। उन्होंने सोचा कि रावण की मृत्यु के बाद विभीषण किस तरह लंका का शासन कर रहे हैं, उन्हें कोई परेशानी तो नहीं है। जब श्रीराम ये सोच रहे थे, उसी समय वहां भरत भी आ गए। भरत के पूछने पर श्रीराम ने उन्हें पूरी बात बताई। ऐसा विचार मन में आने पर श्रीराम ने लंका जाने...Read More
महाभारत के युद्ध में शिखंडी को हथियार बना अर्जुन ने भीष्म को मारा। भीष्म गंगा के पुत्र थे जब अर्जुन ने भीष्म को महाभारत के युद्ध में बाणों की शैया पर लिटा दिया तब भीष्म ने जल मांगा तो अर्जुन ने गंगा को प्रकट किया। गंगा के आने के बाद अपने पुत्र की दशा देखकर बहुत व्याकुल हुई। उनका क्रोध सिर्फ अर्जुन के लिए था क्यूकि अर्जुन ने भीष्म की ये हालत ...Read More
एक साधु का न्यूयार्क में बडे पत्रकार इंटरव्यू ले रहा थापत्रकार-सर, आपने अपने लास्ट लेक्चर में संपर्क (Contact) और संजोग (Connection)पर स्पीच दिया । क्या आप इसे समझा सकते हैं ?साधु मुस्कराये और उन्होंने कुछ अलग...पत्रकारों से ही पूछना शुरू कर दिया।"आप न्यूयॉर्क से हैं?"पत्रकार: "Yeah..."सन्यासी: "आपके घर मे कौन कौन हैं?"पत्रकार को लगा कि.. साधु उनका...Read More
बद्रीनाथ मंदिर का नाम तो आपने सुना ही होगा, जिसे हिंदू धर्म के पवित्र चार धामों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु विराजमान हैं। वैसे आमतौर पर किसी भी मंदिर में पूजा के समय शंख बजाना अनिवार्य होता है, लेकिन यह एक ऐसा मंदिर है, जहां शंख बजाया ही नहीं जाता। उत्तराखंड के चमोली जनपद में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित यह एक प्राचीन मंदिर...Read More
प्रारब्ध कर्म का एक विशेष अंश है, जो इस जन्म के भोगों का निर्धारण करता है। जीव स्थूल देह में नवीन कर्म करता रहता है, यह संचितकर्म कहलाते हैं। संचितकर्म में से एक अंश मृत्यु के समय में अलग होता है, इसे प्रारब्ध कर्म कहते हैं। प्रारब्ध कर्म से जाति, आयु और भोग का निर्धारण होता है।कर्मो के भौतिक परिणामों के इतर मनो संचित प्रतिफल प्रारब्ध रूप में...Read More
मुगल काल का सबसे आतताई राजा औरंगजेब को माना जाता है।अकबर के समय में जो हिन्दू सुरक्षित थे वे औरंगजेब के शासन में उसके अत्याचारों के शिकार हो रहे थे।उसकी सेना ने चारों ओर लूट खसोट मचाई हुई थी। मंदिर तोड़े जा रहे थे हिंदुओं की भावनाओं को कुचला जा रहा था। ऐसे में गिरीराज जी की सेवा करने वाले श्री वल्लभ गोस्वामीजी की अगुवाई में यह सलाह की गई कि अब...Read More
इस संसार में ध्यान से बढ़कर कोई चमत्कार नहीं है, लेकिन ध्यान की क्रिया सही होनी चाहिये। ध्यान की पूर्णता होने पर आत्म ग्यान होता है, परमात्मा की अनुभूति होती है और मोक्ष या मुक्ति की अवस्था प्राप्त होती है। सामवेद के ध्यानबिन्दूपनिषद् में उल्लेख है :यदि शैलसमं पापं विस्तीर्ण बहुयोजनम्।भिद्यते ध्यानयोगेन नान्यो भेदः कदाचन ॥अर्थात यदि...Read More
महामृत्युंजय मंत्रॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वःॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !Click here to know Word By Word Meaning of Mahamritunjay Mantraमहामृत्युंजय मंत्र का अर्थहम तीन नेत्रों वाले शिव का पूजन करते है जो समस्त प्राणियों के जीवन को अपनी सुगंध से समृद्ध करते है , स्वास्थ धन सुख और...Read More
कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ "राघवयादवीयम्" एक ऐसा अद्भुत ग्रन्थ है।इस ग्रन्थ को‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधेपढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा (उल्टे यानी...Read More
श्रीमद्भगवद्गीता के बारे में कुछ महत्वपूर्ण ज्ञान की बातें निम्नलिखित है। - गीता सभी शास्त्रों का उपदेश है।- महाभारत के भीष्म पर्व (25 से 42) के ये 18 अध्याय भगवद गीता या गीताोपनिषद हैं।- गीता में 700 श्लोक हैं। उनमें धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक कहे संजय ने 40 श्लोक, अर्जुन ने 85 श्लोक कहे, और बाकी भगवान श्री कृष्ण ने कहे। पूरी गीता में 74 छंद और 9580 संस्कृत शब्द...Read More
माघ मास हिंदी विक्रमी सम्वत पंचांग का एक पवित्र महिना है। जिसमें किया गया स्नान बहुत महत्वपूर्ण और पुण्य फल प्रदान करने वाला बताया गया है। माघ स्नान से बेहतर पवित्र पाप नाशक दूसरा कोई व्रत भी नही है। एकादशी के व्रत की अपार महिमा है, गंगा स्नान की अद्भुत महिमा है, लेकिन माघ मास की तो सभी तिथियाँ अपने आप में पर्व हैं, सभी तिथियाँ पूर्णिमा की तरह...Read More
जब साधना शुरू होती है तो हम गुरु का सहारा लेते है। किसी गुरु के सानिध्य में जाते है। जब साधना का प्रारंभ होता है तब हम शुद्र श्रेणी के साधक माने जाते है जो कि सबसे निचली श्रेणी होती है। उस समय हम घण्टो ध्यान में बैठेंगे तो भी ध्यान नही लगेगा। 10 घण्टे ध्यान में बैठे और 2 मिनट ध्यान लगे तो फिर क्या फायदा। इसलिए गुरु के सानिध्य में जाते है। गुरु की...Read More
भारतीय राज्य उत्तराखंड में गिरिराज हिमालय की केदार नामक चोटी पर स्थित देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सर्वोच्च केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मंदिर बना हुआ है। रहस्यों से भरे इस केदारनाथ धाम और मंदिर के संबंध में कई कथाएं जुड़ी हुई हैं। आओ जानते हैं कि कब और क्यों केदारनाथ का मंदिर 400 साल तक बर्फ में दबा रहा और क्या है इस मंदिर के पांच...Read More
दो पक्ष-कृष्ण पक्ष ,शुक्ल पक्ष ! तीन ऋण -देव ऋण ,पितृ ऋण ,ऋषि ऋण ! चार युग -सतयुग ,त्रेतायुग ,द्वापरयुग ,कलियुग ! चार धाम -द्वारिका ,बद्रीनाथ ,जगन्नाथ पुरी ,रामेश्वरम धाम ! चारपीठ -शारदा पीठ ( द्वारिका )ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,शृंगेरीपीठ ! चार वेद-ऋग्वेद ,अथर्वेद ,यजुर्वेद ,सामवेद ! चार आश्रम -ब्रह्मचर्य...Read More
शंख भारतीय पौराणिक सभ्यता में बहुत महत्व् बताया गया है। शंख को विजय, समृद्धि, सुख, शांति, यश, कीर्ति और सम्पन्नता का भी प्रतीक माना जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शंख नाद का प्रतीक है। शंख की ध्वनि बहुत ही अधिक शुभ मानी जाती है। हालांकि प्राकृतिक रूप से शंख कई प्रकार के होते हैं। इनके 3 प्रमुख प्रकार हैं- दक्षिणावृत्ति शंख, मध्यावृत्ति शंख...Read More
शिव और शक्ति जीवन के अस्तित्व की पूरक शक्तियों के रूप में विद्यमान है जो कि चेतना और आनंद के महान ब्रह्मांड के नीचे स्थापित है। शिव शक्ति रूप को व्यापक रूप से 'अर्धनारीश्वर' के नाम से जाना जाता है, यह एक ऐसा समग्र रूप जिसका दांया भाग भगवान शिव और बायां माता पार्वती है। यह एकरूपता का सबसे शक्तिशाली रूप है जो नर और नारी के पूर्ण संघ का प्रतीक है।यह...Read More
गायत्री मंत्र जाप के लिए तीन प्रमुख समय बताए जाते हैं, जाप के समय को संध्याकाल भी कहा जाता है। गायत्री मंत्र के जाप का पहला समय होता है भोर यानि सुबह का, जो कि सूर्य के उदय होने से थोड़ी देर पहले का होता है, इसी समय में गायत्री मंत्र के जाप को शुरू किया जाना चाहिए। यह गायत्री मन्त्र जाप सूर्योदय के बाद तक किया जाना चाहिए। मंत्र जाप के लिए फिर दूसरा...Read More
उत्तर रामायण के अनुसार जब अश्वमेघ यज्ञ पूरा हो गया तो श्रीराम ने एक बहुत बड़ी सभा का आयोजन किया। जिसमें उन्होंने सभी देवता, ऋषि, मुनि, किन्नरों, यक्षों और राजाओं आदि को उसमें आमंत्रित किया। कहा जाता है कि सभा में आए नारद मुनि के भड़काने पर सभा में प्रस्तुत एक राजा ने ऋषि विश्वामित्र को छोड़कर सबको प्रणाम किया। जिससे ऋषि विश्वामित्र क्रोधित हो...Read More
भगवान कृष्ण ने गुस्से में अपने ही पुत्र सांबा को कोढ़ी होने का श्राप दे दिया था। इसके पीछे की कहानी बड़ी ही रोचक है।वैसे तो श्रीकृष्ण की कई रानियां थीं, जिनमें से एक जामवंत की पुत्री जामवंती भी थी। श्रीकृष्ण और जामवंती के विवाह के पीछे भी एक कहानी है। पुराणों के अनुसार, बहुमूल्य मणि हासिल करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण और जामवंत में 28 दिनों तक...Read More
ब्रह्मा हिंदू मान्यता में वो देवता हैं जिनके चार हाथ हैं। इन चारों हाथों में आपको चार किताब देखने को मिलेंगी। ये चारों किताब चार वेद हैं। वेद का मतलब ज्ञान होता है। पुष्कर के इस ब्रह्म मंदिर का पद्म पुराण में जिक्र है। इस पुराण में कहा गया है कि ब्रह्मा इस जगह पर दस हजार सालों तक रहे थे। इन सालों में उन्होंने पूरी सृष्टि की रचना की। जब पूरी रचना...Read More
हनुमान चालीसा सनातन परंपरा में लिखी गई पहली चालीसा है शेष सभी चालीसाएं इसके बाद ही लिखी गई।हनुमान चालीसा की शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं। आइए जानते हैं हनुमान चालीसा से आप अपने जीवन में क्या-क्या बदलाव ला सकते हैं….शुरुआत गुरु से…हनुमान चालीसा की शुरुआत *गुरु* से हुई है…श्रीगुरु चरन सरोज रज,निज मनु मुकुरु सुधारि।अर्थ - अपने गुरु के...Read More
एक भक्त जब भगवान शिव के दर्शन के लिए मंदिर जाता हैं तो उसका ध्यान केवल शिवलिंग पर होता है। उसके बाद में वह मंदिर की कला, शिल्प और अन्य बाकी अन्य चीजों को देखता है। शिव मंदिर की बात करें तो भगवान् नंदी को मंदिर में अधिकांशतः शिव कक्ष के बाहर देखा जाता है। शिवलिंग तक जाने के लिए पहले श्रद्धालु भगवान् नंदी के सम्मुख सिर झुकाते हैं और उन्हें प्रणाम...Read More
बहुत समय पहले की बात हैं मुल्तान ( आज का पाकिस्तानी पंजाब ) का रहने वाला एक ब्राह्मण उत्तर भारत में आकर बस गया। जिस घर में वह रहता था उसकी ऊपरी मंजिल में कोई मुग़ल-दरबारी भी रहा करता था। प्रातः नित्य ऐसा संयोग बन जाता कि जिस समय ब्राह्मण नीचे गीतगोविन्द के पद गाया करते उसी समय मुग़ल ऊपर से उतरकर दरबार को जाया करता था। ब्राह्मण के मधुर स्वर तथा...Read More
दुर्योधन अपने मित्र कर्ण और भाई दुःशासन के साथ वनवास कर रहे पांडवो को नीचा दिखाने के लिए वन भ्रमण करता है और जहां पांडव निवास कर रहे थे उसी के समीप अपना डेरा डालता है ताकि वह स्वयं वैभव का आनंद ले और पांडव यह सब देखकर ईर्ष्या करें। उस आयोजन के दौरान दुर्योधन का गन्धर्वो से विवाद हो गया और दुर्योधन की अभद्रता ने युद्ध की स्थिति निर्मित कर दी...Read More
भरत जी नंदिग्राम में रहते हैं, शत्रुघ्न जी उनके आदेश से राज्य संचालन करते हैं।एक रात की बात हैं,माता कौशिल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी। नींद खुल गई । पूछा कौन हैं ?मालूम पड़ा श्रुतिकीर्ति जी हैं ।नीचे बुलाया गया ।श्रुतिकीर्ति जी, जो सबसे छोटी हैं, आईं, चरणों में प्रणाम कर खड़ी रह गईं ।माता कौशिल्या जी ने पूछा,...Read More
माता सती एक बार नारद मुनि के उकसाने पर भगवान शंकर से उनके गले में मुंडों की माला का रहस्य जानने की जिद करने लगी। भगवान् शंकर ने उन्हें बहुत समझाया मगर सती बिलकुल भी मानने को तैयार न थी आखिरकार हारकर भगवान शंकर को इस रहस्य के बारे में सती को बता ही दिया। जिसे जानकार सती हैरान रह गयी क्योंकि भगवान् शंकर ने उन्हें बताया कि उनके द्वारा पहनी गयी इस...Read More
यह बात त्रेता युग की है. श्री राम अपने पिता दशरथ का पिंडदान करवाने गया पहुंचे थे. श्री राम नदी के तट पर सीता जी को छोड़कर भाई लक्ष्मण के पिंडदान के लिए आवश्यक सामग्री की व्यवस्था करने चले जाते हैं. काफी समय बीत जाने के पश्चात भी दोनों भाई नहीं लौटते तो माता सीता परेशान हो जाती हैं. तभी राजा दशरथ की आत्मा वहां पहुंचती है और सीता से शुभ मुहुर्त में...Read More
यह रोचक घटना रामायण काल की है जब महाबली बाली आपनी शक्ति के घमंड में चूर होकर इस धरा पर इधर-उधर भटकने लगा ताकि कोई ऐसा मिले जो उससे युद्ध में ललकार सके उसे हरा सके।बाली और सुग्रीव दोनों भाई ब्रह्मा जी के अंश माने गये है। बाली को ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त था कि युद्ध में वह जिस भी व्यक्ति से सामने जायेगा, सामने वाले प्रतिद्वंधी का आधा बल बाली...Read More
पितरों के लिए श्रद्धा एवं कृतज्ञता प्रकट करने वाले को कोई निमित्त बनाना पड़ता है। यह निमित्त है श्राद्ध। पितरों के लिए कृतज्ञता के इन भावों को स्थिर रखना हमारी संस्कृति की महानता को प्रकट करता है। देवस्मृति के अनुसार श्राद्ध करने की इच्छा करने वाला व्यक्ति परम सौभाग्य पाता है।श्राद्ध करने वाले मनुष्य को होती है विविध शुभ लोकों और पूर्ण...Read More
स्कंदपुराण’ में बेल पत्र के वृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में कहा गया है कि एक बार माँ पार्वती ने अपनी उँगलियों से अपने ललाट पर आया पसीना पोछकर उसे फेंक दिया, माँ के पसीने की कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं, कहते है उसी से बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ।बिल्व का पेड़ संपन्नता का प्रतीक, बहुत पवित्र तथा समृद्धि देने वाला है। मान्यता है कि बिल वृक्ष में माँ...Read More
ध्यान, योग और आध्यात्म मानव कल्याण के महत्वपूर्ण अवयव माने जाते है। जिनमे से ध्यान के विषय में कुछ महत्वपूर्ण बातें यहाँ पर दी गयी है। ये जानकारियां काफी रोचक महत्वपूर्ण और व्यक्ति के आत्म कल्याण के लिए काफी आवश्यक है। शांत और स्थिर मन : वैज्ञानिक रूप से भी यह सिद्ध हो चुका है कि ध्यान व्यक्ति के मन को शांत रखने में काफी सहायक होता है,...Read More
एक ब्राह्मण को शादी के बहुत सालों के बाद पुत्र की प्राप्ति हुई, लेकिन कुछ ही वर्षों के बाद में उस बालक की असमय मृत्यु हो गई। वह ब्राह्मण जब बेटे के शव को लेकर श्मशान पहुँचा तो वह मोह के कारण उसको दफना नहीं पा रहा था। उसे पुत्र प्राप्ति के लिए किए गये अपने जप-तप और पुत्र का जन्मोत्सव याद आ रहा था। उसी श्मशान में एक गिद्ध और एक सियार भी रहते थे। वे ...Read More
द्वापरयुग के समय जब भगवान श्री कृष्ण ने धरती में जन्म लिया तब देवी-देवता वेश बदलकर समय-समय में उनसे मिलने धरती पर आने लगे. इस दौड़ में भगवान शिव कहा पीछे रहने वाले थे अपने प्रिय भगवान से मिलने के लिए वह भी धरती में आने के लिए उत्सुक हुए.परन्तु वह यह सोच कर कुछ क्षण के लिए रुके की यदि वे श्री कृष्ण से मिलने जा रहे तो उन्हें कुछ गिफ्ट भी अपने साथ ले जाना ...Read More
हम प्रचलन की बोलचाल में साला शब्द को एक "गाली" के रूप में देखते हैं साथ ही "धर्मपत्नी" के भाई/भाइयों को भी "साला", "सालेसाहब" के नाम से इंगित करते हैं। "पौराणिक कथाओं" में से एक "समुद्र मंथन" में हमें एक जिक्र मिलता है, मंथन से जो 14 दिव्य रत्न प्राप्त हुए थे वो :कालकूट (हलाहल), ऐरावत, कामधेनु, उच्चैःश्रवा, कौस्तुभमणि, कल्पवृक्ष, रंभा (अप्सरा), महालक्ष्मी,...Read More
शालिग्राम को भगवान विष्णु का ही एक अवतार माना जाता है। इसमें भगवान विष्णु के दस अवतार समाहित हैं। पुराणों के अनुसार जिस घर में शालिग्राम स्थापित हो, वह घर समस्त तीर्थों से भी श्रेष्ठ माना जाता है। शालिग्राम को विभिन्न पूजाओं को शामिल किया जाता है। खासतौर से सत्यनारायण की कथा में भगवान विष्णु के समीप शालिग्राम को स्थापित किया जाता है।यह...Read More
भगवान् गणेश का स्वरुप अन्य देवों से काफी भिन्न है जिसका कारण उनके जन्म से जुडी भिन्न भिन्न पौराणिक कथाओं में वर्णित है। भगवान् श्री गणेश जी के जन्म से संबंधित कई कहानियां सामान्यतः प्रचलित है। अलग पुराणों की कथाओं में गणेशजी के जन्म का प्रसंग कुछ अलग होने के बावजूद इन सभी का सार यह है कि भगवान् शिव और माँ पार्वती के माध्यम से ही इनका अवतार हुआ...Read More
जब विष्णु ने राम के रुप मे अवतार लिया और राम सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष के लिए वन मे रह रहे थे, सीता को रावण हर कर ले गया था ।तब राम और लक्ष्मण सीता को खोजते हुए वन वन भटक रहे थे और प्राणियो से सीता का पता पूछ रहे थे कि क्या उन्होंने सीता को कही देखा है? तब एक मोर ने कहा कि प्रभु मैं आपको रास्ता बात सकता हूँ कि रावण सीता माता को किस और ले गया है, पर मैं...Read More
गायत्री-मंत्र के प्रयोग करके अवलोकन किया गया और उसका परिणाम अद्भुत जान पड़ा। इस मंत्र का उपयोग स्वार्थ के लिये न करके परमार्थ के लिये करना चाहिये। देवता भी जहाँ गायत्री का मंत्रोच्चारण होता हो वहाँ सहायता देते हैं। गायत्री सूर्य भगवान के आवाहन का मंत्र है और जब उसका उच्चारण किया जाता है तभी जप करने वाले पर प्रकाश की एक बड़ी लपक स्थूल सूर्य...Read More
आनंद के कुछ भाव होते है - "रति", "प्रेम", "स्नेह", "मान" "प्रणय", "राग", "अनुराग", "भाव" फिर "महाभाव" रति जब चित्त में भगवान के सिवा अन्य किसी विषय की जरा भी चाह नहीं रहती ,जब सर्वेन्द्रिय के द्वारा श्री कृष्ण की सेवा में ही रत हुआ जाता है, तब उसे " रति " कहते है.जब रति में प्रगाढ़ता आती है तो उसे प्रेम कहते है। प्रेम प्रेम में अनन्य ममता होती है सब जगह से सारी ममता...Read More
महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद भगवान श्रीकृष्ण 36 वर्ष तक द्वारका में राज्य करते रहे। उनके सुशासन में समानवंशी भोज, वृष्णि, अंधक आदि यादव राजकुमार असीम सुख भोग रहे थे।अधिक भोग-विलास के कारण उनका संयम और शील जाता रहा। इन्हीं दिनों कुछ तपस्वी ऋषि -मुनि द्वारका पधारे। अपनी मस्ती में मस्त यादवगण उन महात्माओं का मजाक उड़ाने के लिए साम्ब नाम के...Read More
ठाकुर जी की ये मूर्ति लगभग 500 साल पुरानी है | ये मूर्ति स्वामीनारायण मन्दिर घरपुर गुजरात में है | ठाकुर जी के हाथ में जो घडी है वो पल्स रेट से चलती है | यही कोई वर्ष 1970 के आसपास एक अंग्रेज वहां घूमने आया। वहां गुसाई जी का सेवा देख कर बड़ा प्रभावित हुआ उसने ठाकुर जी को भेंट मैं एक हाथ घड़ी दी। इस घडी को एक अंग्रेज ने ये जानने के लिए ठाकुर जी के हाथ में...Read More
आगरा के फतेहपुर सीकरी के पास एक गांव है औलेंडा (AULENDA)। इस गांव में एक श्री हनुमान जी के भक्त थे। भक्त की भक्ति की चर्चा अकबर के दरबार तक पहुंची। अकबर ने फतेहपुर सीकरी उन्हें बुलाकर परीक्षा लेनी चाही। अकबर ने उन्हें एक मखमली चबूतरे पर बैठने के लिए कहा। उन्होंने अकबर को डाटते हुए कहा कि इस चबूतरे में तीन जानवरो को दफना रखा है, वो पाप स्थान पर नहीं...Read More
भगवान श्रीराम राजसभा में विराज रहे थे उसी समय विभीषण वहां पहुंचे। वे बहुत भयभीत और हड़बड़ी में लग रहे थे। सभा में प्रवेश करते ही वे कहने लगे- हे राम! मुझे बचाइए, कुंभकर्ण का बेटा मूलकासुर आफत ढा रहा है। अब लगता है, न लंका बचेगी और न मेरा राजपाट।भगवान श्रीराम द्वारा ढांढस बंधाए जाने और पूरी बात बताए जाने पर विभीषण ने बताया कि कुंभकर्ण का एक बेटा मूल ...Read More
हिन्दुओं के उपासना स्थल को मन्दिर कहते हैं। मन्दिर अराधना और पूजा अर्चना के लिए निश्चित की हुई जगह या देवस्थान है। यानी जिस जगह किसी आराध्य देव के प्रति ध्यान या चिंतन किया जाए या वहां मूर्ति इत्यादि रखकर पूजा अर्चना की जाए उसे मन्दिर कहते हैं। मन्दिर का शाब्दिक अर्थ 'घर' है। वस्तुतः सही शब्द 'देवमन्दिर', 'शिवमन्दिर', 'कालीमन्दिर' आदि हैं।मठ वह...Read More
कहते हैं देवताओ में त्रिदेव का सबसे अलग स्थान प्राप्त है और इसमें ब्रह्मा को सृष्टि का रचियता, भगवान् विष्णु को संरक्षक और भगवान् शिव को विनाशक कहा जाता है।भगवान शिव ने एक बार सोचा - "अगर मै विनाशक हूँ तो क्या मै हर चीज का विनाश कर सकता हूँ ? क्या मै ब्रह्मा और विष्णु का विनाश भी कर सकता हूँ ? क्या उन पर मेरी शक्तियां कारगर होंगी?" जब भगवान् शिव के मन...Read More
हरियाणा प्रान्त के यमुनानगर ज़िले में स्थित कपाल मोचन, भारत के पवित्र स्थलों में से एक है। इस तीर्थ के विषय में ऐसी मान्यता है कि यहाँ स्थित सोम सरोवर में स्नान करने से भगवान शिव को ब्रह्मादोष से मुक्ति मिली थी। कोई भी विधायक या फिर मंत्री यदि कपाल मोचन में मेले के समय आता है तो वह दोबारा कभी चुनाव में नहीं जीत पाता और न ही सत्ता में आ पाता है, ऐसी...Read More
दीपावली के दिन होने वाली पूजा को लक्ष्मी पूजा कहा जाता है। सामान्यतः लोग लक्ष्मी को केवल धन की देवी तक सीमित कर लेते है। आज के समय में लक्ष्मी शब्द का बहुत संकुचित हो गया है। जबकि लक्ष्मी शब्द का अर्थ बहुत वृहद है। लक्ष्मी शब्द के विषय में बात की जाये तो इसकी उत्पत्ति लक्ष धातु से मानी जाती है। लक्ष का शाब्दिक अर्थ होता है ध्यान लगाना, ध्येय...Read More
दीपावली के दिन यमराज जी के निमित्त जलाया जाता है, मान्यता है कि जिस घर में दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती हैसन्ध्या समय मुख्य द्वार पर यम के नाम का दीपक परिवार के सभी सदस्यों के घर आने और खाने-पीने के पश्चात सोते समय जलाया जाता है।इस दीप को जलाने के लिए पुराने दीपक का उपयोग किया जाता है,सबसे वरिष्ठ सदस्य जलाते हैं,इसके पश्चात उस...Read More
वक्रतुंड (Vakratunda)वक्रतुंड का अवतार राक्षस मत्सरासुर के दमन के लिए हुआ था। मत्सरासुर शिव भक्त था और उसने शिव की उपासना करके वरदान पा लिया था कि उसे किसी से भय नहीं रहेगा। मत्सरासुर ने देवगुरु शुक्राचार्य की आज्ञा से देवताओं को प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। उसके दो पुत्र भी थे सुंदरप्रिय और विषयप्रिय, ये दोनों भी बहुत अत्याचारी थे। सारे देवता शिव...Read More
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय शुभ एकादशी ॐ नमोस्तु अनन्ताय सहस्त्र मूर्तये सहस्त्र पादाक्षि शिरोरुवाहवेसहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते सहस्त्र कोटि युग धारिणे नमः ।यथा समस्त देवानां श्रेष्ठो विष्णु:प्रकीर्तिताः । तथा सर्व वृतानां च श्रेष्ठम् एकादशी व्रतम् ।।एकादशी व्रत के दिन अन्न न खाये जो पहली बार करते है वे एक समय अन्न लेकर व्रत आरम्भ कर...Read More
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु माता लक्ष्मी के साथ क्षीर सागर में विराजमान थे। दोनों आपस में चर्चा कर रहे थे इसी बीच लक्ष्मी माता के मुख से निकल गया कि बिना उनकी आराधना किए किसी का बस नहीं चलता। संसार का हर व्यक्ति मुझे प्राप्त करने के लिए ही पूजा-अर्चना करता रहता है। भगवान विष्णु को समझते देर नहीं लगी कि लक्ष्मी माता को अपने ऊपर...Read More
जब यादवों का अंत हो रहा था भगवान श्री कृष्ण अपने धाम जाने से पहले अर्जुन को द्वारिका बुलाया और कहा की सभी स्त्रियों को अपने साथ ले जाओ। जब अर्जुन स्त्रियों को के जा रहे थे रास्ते में कुछ भील लुटेरों ने अर्जुन पर आक्रमण कर दिया और स्त्रियों को अपहरण करके ले जाने लगे। उस समय अर्जुन उनकी रक्षा करने के लिए जब धनुष उठाया, तो उनका बाहुबल समाप्त हो...Read More
बसंत पंचमी का हर साल माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था. पतझड़ के बाद बंसत ऋतु का आगमन होता है बंसत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है. स्वयं भगवान कृष्ण ने कहा है की ऋतुओं में मैं बसंत हूं.ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने मनुष्य की रचना की. लेकिन...Read More
बिहार के गांव विस्फी में विद्यापति नाम के कवि थे जो की भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे। उनकी भक्ति और रचनाओं से खुश होकर भगवान शिव ने उनके घर नौकर बनने की इच्छा हुई। इसके बाद भगवान शिव एक साधारण सा जाहिर गंवार के भेज में कवि विद्यापति के घर पहुंचे। शिव जी ने कवि को अपना नाम उगना बताया और विद्यापति से नौकरी पर रखने की इच्छा जताई। कवि विद्यापति की...Read More
1. मात्र 3,000 वर्ष पूर्व तक भारत में संस्कृत बोली जाती थी तभी तो ईसा से 500 वर्ष पूर्व पाणिनी ने दुनिया का पहला व्याकरण ग्रंथ लिखा था, जो संस्कृत का था। इसका नाम ‘अष्टाध्यायी’ है।2. संस्कृत, विश्व की सबसे पुरानी पुस्तक (ऋग्वेद) की भाषा है। इसलिये इसे विश्व की प्रथम भाषा मानने में कहीं किसी संशय की संभावना नहीं है।3. इसकी सुस्पष्ट व्याकरण और वर्णमाला की...Read More
सामवेद में आया है- "द्वै वाव ब्रह्मणो रूपे मूर्तं चामूर्तं चाथ यन्मूर्तं तदसत्यं यदमूर्तं तत्सत्यं तद्ब्रह्म....।।"अर्थात ब्रह्म के दो रूप होते हैं, एक मूर्त्त और दूसरा अमूर्त्त। जो मूर्त्त है, वह असत्य है और जो अमूर्त्त है वह सत्य ब्रह्म है।यहाँ मूर्त्त का अर्थ है, शरीरधारी यानि स्थूल, सगुण, साकार। अमूर्त्त का अर्थ है, अशरीरी यानि सूक्ष्म,...Read More
भगवान शिव को देवों का देव कहा जाता है जो बहुत थोड़े से भक्ति भाव और आराधना से प्रसन्न हो जाते है। शिवलिंग पर रोज जल भी चढ़ाओ तो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यही काफी है। बाहर से भयंकर, रूद्र, महाकाल, जैसे भगवान शिव अंदर से बहुत भोले हैं। इसीलिए इनको भोलेनाथ भी कहा जाता है।किन्तु कुछ पाप ऐसे भी होते हैं जिन्हे भगवान शिव नाराज हो जाते है।...Read More
रावण ने जब माँ सीता जी का हरण करके लंका ले गया तब लंका मे सीता जी अशोक वृक्ष के नीचे बैठ कर चिंतन करने लगी। रावण बार बार आकर माँ सीता जी को धमकाता था, लेकिन माँ सीता जी कुछ नहीं बोलती थी। यहाँ तक की रावण ने श्री राम जी के वेश भूषा मे आकर माँ सीता जी कोभ्रमित करने की भी कोशिश की लेकिन फिर भी सफल नहीं हुआ,रावण थक हार कर जब अपने शयन कक्ष मे गया तो मंदोदरी...Read More
पंचक काल को अशुभ माना जाता है और इसके दौरान कोई शुभ या अहम कार्य प्रारंभ नहीं किया जाता है। शास्त्रानुसार जब चंद्रमा कुंभ व मीन राशि में भ्रमण कर अंतिम पांच नक्षत्रों धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद व रेवती में होता है, तो उस अवधि को पंचक कहते है। ज्योतिषशास्त्र में पंचक को मंगलसूचक नहीं माना जाता। पंचक के केवल नाकारात्मक...Read More
एक बार महाकवि कालिदास किसी बस्ती से गुजर रहे थे। रास्ते में जाते वक्त उन्हें बहुत जोड़ की प्यास लगी कालिदास के घर में गए और बोले- माते पानी पिला दीजिए बड़ा पुण्य होगा। घर की महिला बाहर आई और बोली - बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं हूँ अपना परिचय दो। मैं अवश्य पानी पिला दूंगी। कालीदास ने कहा - मैं पथिक हूँ, कृपया पानी पिला दें। स्त्री बोली- तुम पथिक कैसे हो ...Read More
एक व्यक्ति की नई-नई शादी हुई और वो अपनी पत्नी के साथ वापिस आ रहा था। रास्ते में वो दोनों एक बडी झील को नाव के द्वारा पार कर रहे थे, तभी अचानक एक भयंकर तूफ़ान आ गया। वो आदमी वीर था लेकिन उसकी पत्नी बहुत डरी हुई थी क्योंकि हालात बिल्कुल खराब थे। नाव बहुत छोटी थी। तूफ़ान वास्तव में भयंकर था और दोनों किसी भी समय डूब सकते थे लेकिन वो आदमी चुपचाप, निश्चल...Read More
बर्बरीक दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे। युद्ध के मैदान में भीम पौत्र बर्बरीक दोनों खेमों के मध्य बिन्दु एक पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हो गए और यह घोषणा कर डाली कि मैं उस पक्ष की तरफ से लडूंगा जो हार रहा होगा। बर्बरीक की इस घोषणा से कृष्ण चिंतित हो गए।भीम के पौत्र बर्बरीक के समक्ष जब अर्जुन तथा भगवान श्रीकृष्ण उसकी वीरता का चमत्कार देखने के ...Read More
जब श्री कृष्ण ने जन्म लिया तो सभी देवी-देवता उनके दर्शन करने नंदगांव पधारे। कृष्णभक्त शनिदेव भी देवताओं संग श्रीकृष्ण के दर्शन करने नंदगांव पहुंचे।परंतु मां यशोदा ने उन्हें नंदलाल के दर्शन करने से मना कर दिया क्योंकि मां यशोदा को डर था कि शनि देव कि वक्र दृष्टि कहीं कान्हा पर न पड़ जाए।परंतु शनिदेव को यह अच्छा नहीं लगा और वो निराश होकर...Read More
कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र को विशाल सेनाओं के आवागमन की सुविधा के लिए तैयार किया जा रहा था। उन्होंने हाथियों का इस्तेमाल पेड़ों को उखाड़ने और जमीन साफ करने के लिए किया। ऐसे ही एक पेड़ पर एक गौरैया रहती थी, जो चार बच्चों की माँ थी। जैसे-जैसे पेड़ को उखाड़ा जा रहा था, उसका घोंसला जमीन पर गिर गया, लेकिन चमत्कारी रूप से उसकी संताने अनहोनी से बच...Read More
कैलाश पर्वत पर किसी के ना चढ़ पाने के पीछे कई कारण है।कुछ लोग ये भी मानते है। कि कैलाश पर शिव जी का निवास है इसलिये कोई जीवित व्यक्ति इस पर्वत पर नही चढ़ सकता।ऐसा भी देखा गया है। कि कैलाश पर्वत पर थोड़ा चढ़ते ही व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है। और बिना दिशा के पर्वत पर चढ़ना असंभव है।एक पर्वतारोही ने अपनी किताब मे लिखा था। कि उसने कैलाश पर चढ़ने का असफल...Read More
एक आदमी एक बूढ़े सन्त के पास गया और पूछा ध्यान क्या है उस सन्त ने कहा जागरण को ही ध्यान कहा गया है उसने कहा मुझे सीखना है सन्त ने हामी भर दी लेकिन मैं तुम्हें डंडे से मारूँगा और अगर तुम्हें पहले पता चल गया मारने से तो नहीं मारूँगा। अगले दिन से पिटाई शुरू हो गयी वो कोई काम लगा हो और सन्त डंडा मार दे शाम तक पूरा शरीर दर्द करने लगा अब ये रोज का काम हो गया...Read More
लोगों का मानना है की सच्चे दिल से मांगी हुई दुआ भगवान ज़रूर पूरी करता है। जानकारों की मानें तो पूरे दिन में एक पल ऐसा आता है जब आपकी मुराद पूरी हो सकती है। मनुष्य जो भी मांगे उसे मिल सकता है। इस पल या मिनट को गोल्डन मिनट के नाम से जाना जाता है। पर कब आता है यह गोल्डन मिनट? पूरे दिन में कौन सा है वो पल जिसमें हम अपनी मुराद पूरी कर सकते हैं?कैसे करें...Read More
जब एक बार व्यक्ति मनुष्य योनि में आ जाता है तो मानवता उससे स्वयं जुड़ जाती है, लेकिन इस मानवता का उसे हमेशा ध्यान रखना चाहिए और इससे विलग न होना ही उसके जीवन की सार्थकता है। कहते हैं कि मानव की प्रतिष्ठा में ही धर्म की प्रतिष्ठा है। कोई भी धर्म श्रेष्ठ और महान हो सकता है, लेकिन मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता। स्वामी विवेकानंद मानव धर्म को...Read More
तुलसी (पौधा) पूर्व जन्म मे एक लड़की थी, जिसका नाम वृंदा था। राक्षस कुल में जन्मी यह बच्ची बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी। जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में ही दानव राज जलंधर से संपन्न हुआ। राक्षस जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था। वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी, सदा अपने पति की सेवा किया करती थी। एक बार देवताओ और दानवों में युद्ध हुआ जब...Read More
भगवान् शिव से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण रोचक तथ्य निम्नलिखित है जिन्हे जानकार शिवभक्त 1. आदिनाथ शिव : - धरती पर सबसे पहले भगवान शिव ने ही जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है। 'आदि' का अर्थ होता है प्रारंभ। आदिनाथ के साथ ही शिव का एक नाम 'आदिश' भी है। 2. भगवान् शिव के प्रमुख नाम : - शिव जी के वैसे तो अनेक नाम हैं...Read More
माता सीता ने महाबली हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नव निधि की प्राप्ति का वरदान दिया था। श्री हनुमान चालीसा में श्री गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते भी है कि-अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस-बर दीन्ह जानकी माता।। कहते हैं जब कोई अपने कष्टों से मुक्ति की कामना लेकर हनुमान जी की शरण में जाते हैं, वें माता सीता के आशीर्वाद से ही उनके सारे दुख दर्द दूर कर...Read More
वाल्मीकि कृत 'रामायण'व्यास कृत 'महाभारत'अश्वघोष कृत 'बुद्धचरित'कालिदास कृत 'कुमारसंभवम'कालीदास कृत 'रघुवंशम्'श्रीहर्ष कृत 'नैषधीयचरित'माघ कृत 'शिशुपाल वध'भारवि कृत 'किरातार्जुनीयम्'रघुवंश, कुमारसम्भव, कीरातार्जुनीयम्, शिशुपालवध और नैषधचरित को 'पंचमहाकाव्य' कहा जाता है।हिंदी एवं स: लोक भाषाओं में:-सूरदास कृत 'सूरसागर'तुलसीदास कृत...Read More
शरीर के विभिन्न अंगों में देवताओं का निवास इस प्रकार है:आँख - चन्द्र, सूर्यकान - दशो दिशाएँनाक - अश्विनी कुमारमुँह - अग्निदेवजिभ्या - वरुणहाथ - इन्द्रपैर - उपेन्द्रगुदा - गणेशलिंग - ब्रह्मानाभि - विष्णु-लक्ष्मीहृदय - शिव-पार्वतीकंठ - सरस्वतीआज्ञाचक्र -...Read More
प्रसिद्ध ऋषि मंदव्य को राजा ने चोरी के आरोप में सूली पर चढ़ा दिया लेकिन कई दिनों तक सूली पर लटकने के बाद भी ऋषि मंदव्य की मृत्यु नहीं हुई।इस पर राजा अचम्भित हुआ और उसने अपने निर्णय पर पुर्नविचार किया। तब राजा को यह महसूस हुआ कि भूलवश उसने गलत इंसान को आरोपी ठहराकर सजा दे दी है। राजा को अपने मूर्खतापूर्ण निर्णय पर बेहद ग्लानि हुई लेकिन अपनी गलती...Read More
कभी सोचा है की प्रभु श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था?नहीं तो जानिये-इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था,...Read More
धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी को महर्षि वेदव्यास ने सौ पुत्रों की माता होने का वरदान दिया था। समय आने पर गांधारी को गर्भ ठहरा लेकिन वह दो वर्ष तक पेट में रुका रहा। घबराकर गांधारी ने गर्भ गिरा दिया। उसके पेट से लोहे के गोले के समान एक मांस पिंड निकला। तब महर्षि वेदव्यास वहां पहुंचे और उन्होंने कहा कि तुम सौ कुण्ड बनवाकर उन्हें घी से भर दो और उनकी...Read More
तमसो मा ज्योतिर्गमय - हे सूर्यदेव! हमें भी अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो...हिंदू विक्रमी सम्वत पंचांग के अनुसार माह को दो भागों में बाँटा गया है - कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। इसी तरह वर्ष को भी दो भागों में बाँटा गया है। पहला उत्तरायण और दूसरा दक्षिणायन। ये दोनो अयन को मिलकर एक वर्ष होता है। मकर संक्रांति पर्व के दिन सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करने...Read More
एक बार विश्वामित्र जी और वशिष्ठ जी में इस बात पर बहस हो गई,कि सत्संग बड़ा है या तप???विश्वामित्र जी ने कठोर तपस्या करके ऋध्दी-सिध्दियों को प्राप्त किया था,इसीलिए वे तप को बड़ा बता रहे थे।जबकि वशिष्ठ जी सत्संग को बड़ा बताते थे।वे इस बात का फैसला करवाने ब्रह्मा जी के पास चले गए।उनकी बात सुनकर ब्रह्मा जी ने कहा- मैं सृष्टि की रचना करने में व्यस्त...Read More
सब के लायक ज्योतिषीय उपाय, जो कोई भी कर सकता है : उपाय कोई भी व्यक्ति, चाहे उसका लग्न अथवा ग्रह-स्थिति कुछ भी हो, कर सकता है. और चाहे उसे अपनी जन्मतिथि और समय आदि भी न पता हो, उसे भी कुछ न कुछ लाभ ही होगा और इन उपायों से किसी को भी हानि नहीं होगी -सूर्य को जल देना.गायत्री मंत्र, हनुमान चालीसा, सुंदरकाण्ड, दुर्गा सप्तशति, आदित्य हृदय स्तोत्र, रामायण,...Read More